बच्चों को छोटी उम्र से ही यौन शिक्षा दी जानी चाहिए: Supreme Court

NFA@0298
2 Min Read

नयी दिल्ली, 9 अक्टूबर। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि बच्चों को छोटी उम्र से ही यौन शिक्षा दी जानी चाहिए, न कि कक्षा नौ से।

न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने कहा कि यौन शिक्षा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में पाठ्यक्रम का हिस्सा होनी चाहिए, ताकि बच्चों और किशोरों को यौवन के साथ आने वाले हार्मोनल बदलावों के बारे में जागरूक किया जा सके।

पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि बच्चों को यौन शिक्षा छोटी उम्र से ही दी जानी चाहिए, न कि कक्षा नौ से। यह संबंधित प्राधिकारों की जिम्मेदारी है कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए सुधारात्मक उपाय करें, ताकि बच्चों को तरुणाई के बाद शरीर में होने वाले बदलावों और उनसे जुड़ी देखभाल एवं सावधानियों के बारे में जानकारी मिल सके।’’

शीर्ष अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) तथा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉस्को) अधिनियम की धारा-छह (गंभीर यौन हमला) के तहत आरोपों का सामना कर रहे 15 साल के एक किशोर को जमानत देते हुए ये टिप्पणियां कीं।

सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपी को नाबालिग बताते हुए उसे किशोर न्याय बोर्ड की ओर से निर्धारित शर्तों के तहत जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।

Source link

Share This Article
Leave a Comment