लेंस डेस्क। Bangladesh violent protests: बांग्लादेश एक बार फिर हिंसा और प्रदर्शनों की चपेट में है। वहां यह हालत तब उपजे हैं जब ‘जुलाई विद्रोह’ के नेता और इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत हो चुकी है। पिछले सप्ताह उन्हें गोली मारी गई थी गुरुवार को सिंगापुर में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
हिंसक प्रदर्शनों में चटगांव में भारतीय उच्चायोग पर हमले की कोशिश हुई। इस बीच एक हिंदू युवक की हत्या भी कर दी गई। बांग्लादेश की सरकार ने आपातकाल जैसी स्थिति घोषित कर दी है। सेना तैनात है, लेकिन तनाव बढ़ता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया जैसे अल जजीरा, बीबीसी और रॉयटर्स रिपोर्ट कर रहे हैं कि यह 2024 आंदोलन से भी बड़ा हो सकता है। भारत ने अपने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले के भालुका इलाके में कथित धार्मिक अपमान के शक में एक हिंदू युवक को उग्र भीड़ ने बुरी तरह पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई। बाद में हमलावरों ने उसके शव को पेड़ से लटकाकर आग के हवाले कर दिया। बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के हवाले से भालुका थाने के अधिकारी रिपन मिया ने बताया कि घटना रात लगभग 9 बजे हुई, जब स्थानीय लोगों ने युवक पर पैगंबर के खिलाफ आपत्तिजनक बातें करने का इल्जाम लगाया और उस पर टूट पड़े।
मृतक की शिनाख्त दीपू चंद्र दास के रूप में हुई है, जो एक गारमेंट फैक्ट्री में मजदूरी करता था और इलाके में किराए के मकान में रहता था। पुलिस ने सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचकर हालात काबू में किए, शव को कब्जे में लिया और पोस्टमॉर्टम के लिए मयमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया। फिलहाल कोई केस दर्ज नहीं हुआ है, क्योंकि पुलिस पीड़ित के परिजनों की तलाश कर रही है। औपचारिक शिकायत मिलने पर ही कानूनी कार्रवाई शुरू होगी।
इसी बीच, छात्र नेता शरीफ उस्मान बिन हादी की मौत की खबर फैलते ही देशभर में प्रदर्शन भड़क उठे। हादी की मौत के बाद चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग के बाहर प्रदर्शनकारियों ने जमावड़ा लगाया और भारत विरोधी नारे लगाए। ढाका यूनिवर्सिटी के पास शाहबाग में सैकड़ों छात्रों ने इकट्ठा होकर हादी के समर्थन में नारेबाजी की, जैसे “तुम कौन, मैं कौन हादी, हादी”।
‘जातीय छात्र शक्ति’ नाम के एक छात्र संगठन ने जुलूस निकाला और शाहबाग की तरफ कूच किया। पिछले साल के आंदोलन से जुड़े ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के सहयोगी नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने भी प्रदर्शनों में शामिल होकर भारत विरोधी नारे लगाए। उनका आरोप है कि हादी पर हमला करने वाले भारत भाग गए हैं, इसलिए अंतरिम सरकार से मांग की गई कि हमलावरों की वापसी तक भारतीय उच्चायोग बंद रखा जाए।
अखबारों के ऑफिस में आगजनी
हिंसा के बाद स्थिति इस कदर खराब हो गई कि देश के प्रमुख समाचार पत्रों प्रोथोम आलो और डेली स्टार के कार्यालयों पर उग्र भीड़ ने धावा बोल दिया। तोड़फोड़ के साथ-साथ आगजनी भी की गई, जिससे कर्मचारियों को अपनी जान बचाने के लिए इमारतों से बाहर निकलना पड़ा। इन हमलों के चलते दोनों अखबारों ने शुक्रवार को अपनी छपाई और प्रकाशन पूरी तरह से स्थगित कर दिया।
ढाका के करवान बाजार इलाके में स्थित इन दोनों मीडिया हाउसों के दफ्तरों में आग लगाने की घटनाओं में कई पत्रकार अंदर फंस गए थे, लेकिन राहत कार्यों के जरिए सभी को सकुशल बाहर निकाला गया। इसी क्रम में एक प्रमुख न्यूज एजेंसी के संपादक पर भी खुले सड़क पर हमला किया गया, जिससे मीडिया कर्मियों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंताएं पैदा हो गईं। यह उपद्रव केवल पत्रकारिता जगत तक ही सीमित नहीं रहा—शेख मुजीबुर रहमान के निवास स्थान पर भी भारी तोड़फोड़ और आगजनी हुई, साथ ही एक पूर्व मंत्री के घर को भी निशाना बनाया गया।
मुहम्मद यूनुस ने क्या कहा
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने गुरुवार रात को राष्ट्र को संबोधित करते हुए शरीफ उस्मान हादी की मौत की दुखद सूचना दी और हत्यारों को जल्द गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया। अपने टेलीविजन भाषण में यूनुस ने कहा, “आज मैं आपके समक्ष एक बेहद दुखद समाचार लेकर आया हूं। जुलाई क्रांति के साहसी योद्धा और इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी अब इस दुनिया में नहीं रहे।”
उन्होंने आगे सभी लोगों से संयम बरतने की भावुक अपील की और कहा, “मैं दिल से सभी नागरिकों से अनुरोध करता हूं कि धैर्य बनाए रखें और संयम से काम लें। जांच एजेंसियों को अपना काम पेशेवर तरीके से करने का अवसर दें। राज्य कानून का पूर्ण पालन करने के लिए कटिबद्ध है।”
शरीफ उस्मान हादी के बारे में

शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश के दक्षिणी जिले झालोकाठी के रहने वाले था। वह छह भाई-बहनों में सबसे छोटे था। उनके पिता एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे, जो मदरसे में पढ़ाते थे। हादी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई उसी मदरसे से की। बाद में उन्होंने ढाका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान में दाखिला लिया।
पढ़ाई के दौरान वह लेखन और सामाजिक कामों में सक्रिय हो गए। साल 2024 में उन्होंने ‘लावा से लाल हुआ पूरब का आसमान’ नाम से एक कविता संग्रह छपवाया, जिसे उन्होंने शिमांतो शरीफ के नाम से लिखा था। हादी युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय था और इंकलाब मंच नाम के एक संगठन की अगुवाई कर रहे थे। वह आगामी संसदीय चुनाव में ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहा था।
हादी का कहना था कि आवामी लीग की नीतियां भारत समर्थक हैं और बांग्लादेश की आजादी को कमजोर करती हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने एक विवादित नक्शा भी शेयर किया था, जिसमें भारत के पूर्वोत्तर हिस्सों को जोड़कर ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ दिखाया गया था। इससे साफ है कि वह राष्ट्रवादी विचारों वाले थे और सरकार की नीतियों के खिलाफ थे। लेकिन यही बातें उनकी जान की दुश्मन बन गईं।
शरीफ उस्मान हादी को गोली क्यों मारी गई?

रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले हफ्ते ढाका में एक मस्जिद से निकलते समय या अपनी चुनावी कैंपेन लॉन्च करते वक्त मास्क्ड हमलावरों ने उन पर हमला किया। उन्हें सिर में गोली लगी, जो गंभीर थी। शुरुआत में ढाका में इलाज चला, लेकिन हालत बिगड़ने पर उन्हें सिंगापुर ले जाया गया। वहां गुरुवार को उनकी मौत हो गई।
प्रदर्शनकारियों और उनके समर्थकों का आरोप है कि यह राजनीतिक हत्या है। वे पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी आवामी लीग पार्टी को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हालांकि, शेख हसीना अब सत्ता में नहीं हैं और भारत में रह रही हैं, लेकिन उनके विरोधी कहते हैं कि यह हमला पुरानी दुश्मनी का नतीजा है। पुलिस जांच कर रही है, लेकिन अभी तक हमलावरों की पहचान नहीं हुई। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह चुनाव से पहले की साजिश हो सकती है, क्योंकि हादी चुनाव लड़ने वाले थे।
साल 2024 में बांग्लादेश में बड़ा छात्र आंदोलन हुआ था। यह आंदोलन सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम के खिलाफ शुरू हुआ था। छात्रों का कहना था कि कोटा सिस्टम से योग्य युवाओं को मौका नहीं मिलता। शरीफ उस्मान हादी जैसे युवा नेता इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे।
आंदोलन इतना बड़ा हो गया कि हिंसा भड़क उठी, सैकड़ों लोग मारे गए। आखिरकार, शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और वह देश छोड़कर भारत चली गईं। अंतरिम सरकार बनी, और अब चुनाव होने वाले हैं। हादी उस आंदोलन के हीरो थे, और उनकी मौत ने पुरानी आग को फिर से भड़का दिया है। प्रदर्शनकारी कहते हैं कि हसीना अब भी साजिश रच रही हैं, जबकि हसीना की पार्टी इसे झूठ बताती है।

