केजीएमयू को मिली 'सुपर विजन' वाली आंख

NFA@0298
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  • 80 प्रतिशत कम रेडिएशन और बिना कागजी देरी के तुरंत शुरू होगा इलाज
  • ट्रॉमा सेंटर में लगेगी  नई एआई स्कैनर सीटी मशीन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े ट्रॉमा सेंटर, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में एक्सीडेंट और इमरजेंसी के मरीजों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। शुक्रवार को केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में रेडियोलॉजी विभाग की मदद से अत्याधुनिक सीटी स्कैनर का भूमि पूजन किया गया। यह मशीन ‘आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस’ से लैस है और इसे विशेष रूप से गंभीर घायलों की जान बचाने के लिए डिजाइन किया गया है।

‘गोल्डन ऑवर’ में नहीं होगी देरी
सड़क हादसों में घायल मरीजों के लिए शुरुआती एक घंटा (गोल्डन ऑवर) सबसे महत्वपूर्ण होता है। पुरानी मशीनों पर मरीज का नाम-पता टाइप करने और उन्हें लिटाकर सेट करने में जो समय बर्बाद होता था, अब वह नहीं होगा। रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष ने बताया” इस मशीन में ‘इमरजेंसी मोड’ है, जिससे मरीज के स्ट्रेचर पर आते ही बिना डाटा एंट्री के स्कैन शुरू हो जाता है। इसका स्मार्ट कैमरा मरीज को अपने आप सही पोजीशन में सेट कर देता है। जो काम पहले मिनटों में होता था, अब सेकंडों में होगा।

खुद ढूंढेगी टूटी हड्डियां
यह मशीन सिर्फ फोटो नहीं खींचती, बल्कि डॉक्टर की मदद भी करती है। एक्सीडेंट के बाद कई बार रीढ़ की हड्डी या पसलियों के फ्रैक्चर पकड़ में नहीं आते। इस मशीन का एआई सिस्टम रीढ़ और पसलियों की थ्रीडी तस्वीर बनाकर खुद बता देगा कि चोट कहां लगी है। साथ ही, इसका खास कैमरा दिमाग की महीन नसों की चोट को भी साफ दिखाएगा।

बच्चों के लिए सुरक्षित
अक्सर दर्द के कारण मरीज मशीन में हिलते-डुलते हैं, जिससे फोटो धुंधली हो जाती है। यह मशीन उस ‘हिलने’ को खुद ठीक कर एकदम साफ रिपोर्ट देती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें पुरानी मशीनों के मुकाबले 80 प्रतिशत कम रेडिएशन निकलता है,जो बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत सुरक्षित है। इस नई मशीन के आने से लखनऊ और आसपास के जिलों से आने वाले गंभीर मरीजों को अब विश्वस्तरीय इलाज की सुविधा केजीएमयू में ही मिल सकेगी।



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