बायोमेट्रिक उपस्थिति में निजी मोबाइल के उपयोग का शिक्षक संघ ने किया कड़ा विरोध

NFA@0298
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पाटन,,।छत्तीसगढ़ सहायक/समग्र शिक्षक फेडरेशन जिला इकाई दुर्ग ने आज बयान जारी कर कहा कि विद्यालयों में शिक्षकों से निजी मोबाइल फोन के माध्यम से बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने की व्यवस्था न केवल अव्यावहारिक है बल्कि शिक्षकों की निजता, सम्मान और कार्य-परिस्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है

।संघ ने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा प्रस्तावित या लागू किए जा रहे मोबाइल-आधारित उपस्थिति ऐप अत्यधिक लोकेशन, कैमरा, डेटा और अन्य निजी अनुमतियाँ मांगते हैं, जो व्यक्तिगत गोपनीयता का गंभीर उल्लंघन है। साथ ही इस ऐप से संबंधित इंटरनेट एवं सर्वर समस्याएँ ग्रामीण एवं दूरस्थ क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती बन रही हैं।फेडरेशन का यह भी कहना है कि निजी मोबाइल, डेटा पैक और रख-रखाव का भार शिक्षकों पर डालना तर्कसंगत नहीं है। संघ ने मांग की है कि यदि सरकार बायोमेट्रिक प्रणाली को अनिवार्य करना चाहती है तो विद्यालयों में स्थायी बायोमेट्रिक मशीनें स्थापित कराए, ना कि निजी उपकरणों पर निर्भरता थोपे।संघ ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं करती, तो शिक्षक संगठन लोकतांत्रिक ढंग से विस्तृत आंदोलन चलाने के लिए बाध्य होंगे।

संघ ने कहा कि शिक्षकों पर अविश्वास जताने वाली ऐसी व्यवस्थाएँ शिक्षण कार्य की गरिमा और गुणवत्ता दोनों को प्रभावित करती हैं।छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक/समग्र शिक्षक फेडरेशन के जिला अध्यक्ष कृष्ण कुमार वर्मा,जिला उपाध्यक्ष विनोद देवांगन, ब्लॉक अध्यक्ष पाटन चेतन सिंह परिहार,ब्लॉक अध्यक्ष धमधा उत्तम सिंह ठाकुर,ब्लॉक अध्यक्ष दुर्ग सतीश चंद्राकर, ब्लॉक सचिव पाटन राजकुमार बघेल,उपाध्यक्ष खेलावन सिंह कुर्रे,बुधारू राम निषाद,टेकेश्वर प्रसाद यदु, देवनारायण बघेल, अंकेश महिपाल,दानेश्वर प्रसाद वर्मा,कृष्ण कुमार शर्मा,सुनील बघेल,चन्द्रशेखर साहू,श्रीकांत ठाकुर,झम्मन सिंह,यादराम साहू,कामता प्रसाद धनकर,कमलेश कुमार साहू,टेकराम चंद्राकर ,महाबीर निषाद,किशोर कुर्रे, चिंताराम भारतद्वज महिला प्रकोष्ठ पाटन,अध्यक्ष श्रीमती रचना वर्मा सचिव श्रीमती मनीषा गौतम,हर्षलता साहू,शशिकला कुर्रे आदि नेआग्रह किया है कि शिक्षकों की वास्तविक परिस्थितियों, तकनीकी चुनौतियों और गोपनीयता संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए तत्काल इस निर्णय को वापस ले तथा संवाद के माध्यम से एक व्यावहारिक और सम्मानजनक व्यवस्था विकसित करे।



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