लेंस डेस्क। भारतीय स्टेट बैंक के बाद अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और उसकी सहायक कंपनी रिलायंस टेलीकॉम (RTL) के कर्ज खातों को धोखाधड़ी की श्रेणी में डाल दिया है। यह कदम गहन जांच, फोरेंसिक परीक्षण और कंपनियों को जारी नोटिस के बाद उठाया गया है।
बैंक के पत्र में बताया गया कि यह निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक की 2024 फ्रॉड दिशानिर्देशों के अनुसार लिया गया। आरकॉम ने 2013 में बैंक से कुल 1,550 करोड़ रुपये की विभिन्न कर्ज सुविधाएं हासिल की थीं, जिनमें से 1,324.86 करोड़ रुपये 2017 में गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बन गए। बैंक का आरोप है कि कंपनी ने कर्ज की शर्तों का उल्लंघन किया, जिससे खाते खराब हो गए।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से कराई गई फोरेंसिक जांच (बीडीओ इंडिया एलएलपी द्वारा) में कई गंभीर अनियमितताएं उजागर हुईं। बैंक से प्राप्त कुल 31,580 करोड़ रुपये में से करीब 44 प्रतिशत पुराने कर्ज चुकाने में और 41 प्रतिशत ग्रुप की जुड़ी कंपनियों को ट्रांसफर करने में खर्च हो गया। लगभग 6,265 करोड़ रुपये सीधे संबंधित इकाइयों को भेजे गए। कुछ निवेश जल्दी किए गए और तुरंत निकाल लिए गए, जिससे संदेह हुआ कि धन का इस्तेमाल बैंकिंग नियमों के बाहर किया गया।
इंटर-कंपनी लेनदेन से शक और गहराया। जांच में पता चला कि आरकॉम, आरटीएल और आरआईटीएल के बीच कर्ज की राशि बार-बार इधर-उधर की जाती रही। आरटीएल ने बैंक से मिले फंड में से 1,783 करोड़ रुपये आरकॉम को ट्रांसफर किए। बड़े स्तर पर इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट (आईसीडी) के जरिए धन को रूट किया गया। कुल 41,863 करोड़ रुपये के आईसीडी लेनदेन सामने आए, जिनका बड़ा हिस्सा जुड़े पक्षों को भुगतान में इस्तेमाल हुआ।
नेटिजन नाम की कंपनी से जुड़े लेनदेन पर भी सवाल उठे। ऑडिट में खुलासा हुआ कि आरकॉम से संबंधित नेटिजन को 5,525 करोड़ रुपये का अग्रिम दिया गया, लेकिन इसके एवज में मिली संपत्ति की कीमत संदिग्ध पाई गई। बैंक इसे फंड साइफनिंग का संकेत मानता है।
बैंक ने 28 अक्टूबर और 12 नवंबर 2025 को शो कॉज नोटिस भेजे, जो स्पीड पोस्ट और ईमेल से पहुंच गए, लेकिन कंपनियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। इसके बाद 3 दिसंबर 2025 को बैंक के फ्रॉड मॉनिटरिंग ग्रुप की बैठक में खातों को धोखाधड़ी घोषित करने का फैसला लिया गया।
चूंकि आरकॉम और आरटीएल कॉर्पोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (सीआईआरपी) में हैं, इसलिए सेक्शन 14 और 32ए के तहत कुछ अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन एनसीएलटी की मंजूरी के बाद। फिर भी, बैंकिंग रिकॉर्ड में अब इनके खाते आधिकारिक रूप से फ्रॉड चिह्नित हो चुके हैं।
SBI पहले ही ले चुका है एक्शन
भारतीय स्टेट बैंक ने दिवालिया हो चुकी अनिल अंबानी के रिलायंस कम्युनिकेशंस (RLCM.NS) के लोन खाते को धोखाधड़ी वाले खाते के तौर पर चिन्हित किया है। बैंक ने 2016 के एक मामले में कथित तौर पर धन के दुरुपयोग का हवाला देते हुए इसे धोखाधड़ी बताया है।
यह खुलासा रिलायंस कम्युनिकेशंस द्वारा प्रतिभूति फाइलिंग में किया गया, जिसमें एसबीआई का 23 जून का पत्र संलग्न किया गया है जिसमें भारत के सबसे बड़े लोनिंग बैंक के द्वारा इस निर्णय के पीछे के कारणों का विवरण दिया गया था।
भारतीय बैंकिंग कानूनों के तहत, जब किसी खाते को धोखाधड़ी वाला बताया जाता है, तो मामले को आपराधिक कार्रवाई के लिए प्रवर्तन एजेंसियों को भेज दिया जाता है और उधारकर्ता को पांच साल की प्रारंभिक अवधि के लिए बैंकों और अन्य विनियमित वित्तीय संस्थानों से आगे वित्त प्राप्त करने पर रोक लगा दी जाती है। इससे शेयरों के लिए समस्या पैदा हो सकती है।रिलायंस कम्युनिकेशंस ने अप्रैल में बताया था कि मार्च में उसका कुल ऋण 404 अरब रुपये (4.71 अरब डॉलर) था।

