
लेंस डेस्क। छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ समय से तंत्र-मंत्र, जादू-टोना और भूत-प्रेत के नाम पर ठगी, धोखाधड़ी और यहां तक कि हत्याओं के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने लोगों को इन फर्जी तांत्रिकों और बैगाओं से सावधान रहने की अपील की है।
डॉ. मिश्र ने कहा कि ये फर्जी लोग झूठे चमत्कारों के दावे करके ग्रामीणों को भ्रमित करते हैं, जबकि ऐसी कोई सिद्धि या जादू का वजूद नहीं होता। ये सिर्फ धोखा देने की तरकीबें हैं, जैसे जादूगर अपने शो में रुपये दुगने करना या चीजें गायब करना दिखाते हैं, लेकिन इसे चमत्कार नहीं कहते।
हाल के उदाहरण
- बालोद में तंत्र-मंत्र से खजाना दिलाने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी।
- कोरबा में रुपये को करोड़ों बनाने के लिए तांत्रिक अनुष्ठान के बहाने तीन लोगों की हत्या।
- गरियाबंद में तांत्रिक इलाज के नाम पर जेवर और पैसे लूटने के मामले।
डॉ. मिश्र ने बताया कि पहले जब मेडिकल साइंस नहीं था, तब बीमारियों को जादू-टोना या भूत-प्रेत का कारण माना जाता था। लेकिन अब विज्ञान ने सभी बीमारियों के सही कारण और इलाज ढूंढ लिए हैं। कोरोना जैसी महामारी में न कोई बाबा काम आया, न उनका चमत्कार। सिर्फ डॉक्टर, अस्पताल, दवाइयां और वैक्सीन ने मदद की। मानसिक बीमारियों का इलाज भी अब मनोचिकित्सक करते हैं, न कि झाड़-फूंक से।
डॉ. मिश्र का कहना है कि जादू-टोने के शक में महिलाओं को ‘टोनही’ कहकर प्रताड़ित करना या मार डालना गलत है। हर साल देश में ऐसे हजारों मामले सामने आते हैं। यह सब भारत सरकार के ‘ड्रग्स एंड मैजिकल रेमेडीज एक्ट’ के तहत अपराध है।
डॉ. मिश्र ने कहा कि धर्म का प्रचार करना हर किसी का अधिकार है, लेकिन चमत्कार, खजाना या बीमारी ठीक करने के नाम पर अंधविश्वास फैलाना गलत है। प्रशासन को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और लोगों को इन स्वार्थी तत्वों पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

