रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर खैरागढ़ जिले में प्रस्तावित श्री सीमेंट प्लांट (Shree Cement Plant) की संडी चूना पत्थर खदान परियोजना के खिलाफ शनिवार को जमकर आक्रोश फूटा। सुबह से ही गांवों में आंदोलन की लहर दौड़ी और देखते ही देखते 10 किलोमीटर के दायरे से 200 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रालियों का काफिला छुईखदान की ओर बढ़ पड़ा।
महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों की ऐसी भागीदारी देखने को मिली, जैसे पूरा इलाका एकजुट हो गया हो।
छुईखदान सीमा पर पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग कर किसानों को रोकने की कोशिश की, लेकिन काफिला नहीं थमा। ग्रामीणों ने ट्रैक्टर छोड़ पैदल ही मार्च जारी रखा और SDM कार्यालय पहुंचकर परिसर को घेर लिया।
यहां उन्होंने जोरदार नारेबाजी के बीच ज्ञापन सौंपते हुए 11 दिसंबर की जनसुनवाई रद्द करने की दो-टूक मांग रखी।
ज्ञापन देने के बाद प्रदर्शनकारियों ने राजनांदगांव–कवर्धा मुख्य मार्ग पर विशाल जाम लगाया। जब पुलिस बल पहुंचा और सड़क खाली कराने की कोशिश की, तो तनाव तेजी से बढ़ गया।
किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई और कुछ ही देर में पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसके बाद भीड़ भड़क उठी और ग्रामीणों ने बैरिकेड गिरा दिए। इलाके में देर तक तनाव बना रहा, लेकिन किसान पीछे नहीं हटे।
यह विरोध अचानक नहीं उठा है। खदान क्षेत्र के 39 गांव पहले ही लिखित रूप से परियोजना का विरोध दर्ज करा चुके हैं। संडी, पंडारिया, विचारपुर और भरदागोड़ पंचायतों ने अपनी ग्रामसभाओं में स्पष्ट प्रस्ताव पारित कर परियोजना को सिरे से खारिज कर दिया है।
ग्रामसभा प्रस्ताव में लिखा है कि जमीन, जंगल, जलस्रोत, हमारी जीवनरेखा हैं। इन्हें किसी कीमत पर खदान को नहीं सौंपेंगे।
ग्रामीणों का आरोप है कि खदान और सीमेंट संयंत्र से होने वाला धूल प्रदूषण खेतों को बंजर कर देगा।
ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि जब क्षेत्र की ग्रामसभाएं परियोजना को खारिज कर चुकी हैं, गांवों ने लिखित विरोध दर्ज कर दिया है, तो जनसुनवाई कराने का एकमात्र उद्देश्य विरोध को दबाने की कोशिश लगता है।
शनिवार के प्रदर्शन के बाद आंदोलनकारियों ने घोषणा की कि अब गांव–स्तर पर बैठकें होंगी। जनजागरण अभियान तेज किया जाएगा और 11 दिसंबर को भीषण विरोध के लिए बड़ी रणनीति बनाई जाएगी।
ग्रामीणों का साफ कहना है कि यह लड़ाई अस्तित्व की है। हमारी जमीन और पानी बचाने की है। यह संघर्ष अब रुकने वाला नहीं है।
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