रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में NIT चौपाटी (यूथ हब फूड कोर्ट) को तोड़ने के विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक विकास उपाध्याय के नेतृत्व में 26 दिसंबर एनआईटी चौपाटी के पुराने स्थल पर ‘सद्बुद्धि यज्ञ’ का आयोजन किया । इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा सरकार के मंत्री अरुण साव और विधायक राजेश मूणत के पोस्टर हाथ में लेकर हवन किया और भगवान से उन्हें सद्बुद्धि देने की प्रार्थना की। उपाध्याय ने इस घटना को सत्ता के अहंकार का नतीजा बताते हुए कहा कि 6 करोड़ 12 लाख रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर व्यवसायियों और छात्रों के भविष्य को कुचला गया है। यह विरोध भाजपा को खुली चुनौती देने का हिस्सा है, जहां कांग्रेस ने राजनीतिक बदले की भावना का आरोप लगाया है।
विकास उपाध्याय के आरोप- वैध निर्माण को क्यों तोड़ा?
विकास उपाध्याय ने यज्ञ के दौरान तीखे शब्दों में सवाल उठाए कि जब विधानसभा में मंत्री अरुण साव ने खुद स्वीकार किया था कि फूड कोर्ट अवैध नहीं है, तो इसे तोड़ने का आदेश किस दबाव में दिया गया? उन्होंने कहा कि साइंस कॉलेज के पास स्थित यह फूड कोर्ट हजारों छात्रों की भोजन सुविधा और सैकड़ों युवाओं का रोजगार स्रोत था जिसे बिना वैकल्पिक व्यवस्था के उजाड़ दिया गया। उपाध्याय ने मांग की कि नुकसान की भरपाई मंत्री साव और विधायक मूणत से की जाए साथ ही प्रभावित दुकानदारों को मुआवजा और फूड कोर्ट की पुनर्स्थापना हो। कांग्रेस इस फैसले को मनमाना बता रही है और भाजपा नेताओं पर राजनीतिक प्रभाव दिखाने का आरोप लगा रही है।
नवंबर में चला था बुलडोजर
यह विवाद नवंबर 2025 में शुरू हुआ, जब 21-22 नवंबर को नगर निगम की टीम ने साइंस कॉलेज मैदान स्थित चौपाटी को आमानाका ओवरब्रिज के नीचे शिफ्ट करने के लिए बुलडोजर चलाया। करीब 10 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस चौपाटी में 60-70 दुकानें थीं, जिन्हें तोड़ने के दौरान भारी हंगामा हुआ। कांग्रेस नेता विकास उपाध्याय समेत कई कार्यकर्ता और व्यापारी जेसीबी के सामने लेट गए जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग कर उन्हें हिरासत में लिया और सेंट्रल जेल भेजा। विरोध के दौरान झूमाझटकी हुई और पूर्व विधायक को घसीटते हुए गाड़ी में डाला गया। भाजपा इसे अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई बताई, जबकि कांग्रेस का दावा है कि यह छात्रों और युवाओं के हितों पर हमला है।
विधानसभा में उपमुख्यमंत्री का जवाब- वैध थी चौपाटी
कुछ दिन पहले भाजपा नेताओं ने इन आरोपों का खंडन किया था, विधायक राजेश मूणत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि चौपाटी शुरू से अवैध थी और जमीन खेल विभाग की थी, जहां अब 1000 सीटर की आधुनिक नालंदा-2 लाइब्रेरी बनेगी, जिसका टेंडर पूरा हो चुका है। लेकिन विधानसभा में उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने एक सवाल के जवाब में ये स्वीकारा था की चौपाटी वैध थी।
विपक्ष ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है, जिसमें अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो जो पहले अनुमति दे चुके थे। कांग्रेस का कहना है कि यह जनता के साथ विश्वासघात है। यह विवाद अब राजनीतिक टकराव का रूप ले चुका है, जिसमें रेलवे का भी जमीन पर दावा है। विकास उपाध्याय ने चेतावनी दी कि यदि युवाओं के हितों से खिलवाड़ जारी रहा तो कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी।

