NCR की हवा बनी ‘साइलेंट किलर’: CO₂ व प्रदूषण पर ENT विशेषज्ञ डॉ. बी.पी. त्यागी की चेतावनी 10 साल में आबादी एक चौथाई रह जाएगी

NFA@0298
3 Min Read


IMG_20251120_115051

डॉ. त्यागी के अनुसार वायु में बढ़ता प्रदूषण, पौधों पर जमती धूल और CO₂ का असामान्य स्तर एक ऐसे स्वास्थ्य संकट को जन्म दे रहे हैं, जिसका असर आने वाली पीढ़ियों पर साफ देखा जाएगा। उन्होंने बताया कि पत्तों पर जमी धूल के कारण पौधे पर्याप्त मात्रा में CO₂ अवशोषित नहीं कर पा रहे, जिससे वातावरण में इसका स्तर लगातार बढ़ रहा है और ऑक्सीजन उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है।

बंद कमरों में CO₂ स्तर खतरनाक स्तर पर पहुँच रहा

डॉ. त्यागी ने बताया कि बंद घरों, कमरों और ऑफिसों में CO₂ का स्तर सामान्य सीमा 400–800 PPM से कहीं अधिक पाया जा रहा है। बढ़ा हुआ CO₂ सबसे पहले सिरदर्द, चक्कर, बेचैनी, थकावट और दिल की धड़कन बढ़ने जैसी समस्याएं पैदा करता है, जिनको लोग सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं।

उन्होंने बताया कि

1400 PPM पर व्यक्ति की मानसिक क्षमता 25% तक घट जाती है।

निर्णय लेने की क्षमता 50% तक कम हो जाती है।

पौधों द्वारा CO₂ उपयोग न कर पाने से ऑक्सीजन का स्तर गिरना और CO₂ बढ़ना मोटापे जैसी समस्याओं को भी बढ़ावा दे रहा है।

स्थिति जब 2500–5000 PPM के बीच पहुंचती है तो शरीर में भारीपन, सुस्ती, नींद और दिमागी धुंध बढ़ जाती है।
जबकि 5000 PPM से अधिक का स्तर शरीर के लिए जानलेवा माना जाता है, यह बेहोशी, लकवा, फेफड़ों की विफलता, दौरे और स्ट्रोक जैसी स्थितियां पैदा कर सकता है।

10 साल में आबादी एक चौथाई होने की चेतावनी

डॉ. त्यागी ने बेहद गंभीर अंदाज़ में कहा कि अगर लोग प्रदूषण से बचने के लिए पहाड़ों जैसी साफ हवा वाली जगहों की ओर नहीं गए, तो अगले 10 वर्षों में NCR की आबादी एक चौथाई तक सिमट सकती है।
उनके अनुसार जहरीली हवा इंसान को धीरे-धीरे अंदर से खत्म कर रही है यह सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि दिमाग, दिल, नर्वस सिस्टम और इम्यून सिस्टम को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।

बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग सबसे ज्यादा जोखिम में हैं।

डॉ. त्यागी ने बताए जरूरी उपाय

घर और ऑफिस में एयर प्यूरीफायर का उपयोग अनिवार्य करें।

कमरों की हवा नियमित रूप से बदलें।

एग्जॉस्ट सिस्टम, एयर फिल्टर और खुली खिड़कियों के पास फ़िल्टर लगाएँ।

प्रदूषण के पीक सीजन में निर्माण कार्य व बाहरी गतिविधियाँ कम करें।

बच्चे, बुजुर्ग और सांस के मरीज अतिरिक्त सावधानी रखें।

हवा साफ नहीं हुई तो अस्पताल भी कम पड़ जाएंगे

अंत में डॉ. त्यागी ने कहा कि यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए तो वायु प्रदूषण से पैदा होने वाला स्वास्थ्य संकट इतना बड़ा होगा कि अस्पतालों में जगह भी कम पड़ जाएगी। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अभी चेत जाएं, नहीं तो आने वाली पीढ़ियाँ इसकी भारी कीमत चुकाएंगी।



Source link

Share This Article
Leave a Comment