ISRO से रचा इतिहास, जानिए ‘बाहुबली’ रॉकेट एलवीएम 3 क्‍यों है खास ?

NFA@0298
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लेंस डेस्‍क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज एक नया इतिहास रच दिया है। इस साल के अपने अंतिम मिशन में इसरो ने अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल का सबसे भारी संचार उपग्रह ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया। यह पूरी तरह से व्यावसायिक लॉन्च था।

इसरो के शक्तिशाली एलवीएम3 रॉकेट (जिसे ‘बाहुबली’ रॉकेट भी कहा जाता है) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 8:55 बजे उड़ान भरी। करीब 16 मिनट की उड़ान के बाद 6,100 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा (लगभग 520 किमी ऊंचाई) में पहुंच गया।

यह एलवीएम3 रॉकेट की छठी सफल उड़ान थी और व्यावसायिक मिशन के लिए तीसरी। यह मिशन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) और अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के बीच हुए समझौते का हिस्सा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि भारत के युवाओं की मेहनत से हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम और मजबूत हो रहा है। एलवीएम3 की विश्वसनीयता ने गगनयान जैसे भविष्य के मिशनों की नींव मजबूत की है, साथ ही व्यावसायिक लॉन्च सेवाओं को बढ़ावा मिला है।

इस लॉन्च की खासियत यह है कि ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 भारत से लॉन्च होने वाला अब तक का सबसे भारी व्यावसायिक संचार उपग्रह है। इससे पहले इसरो ने एलवीएम3 से चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वनवेब के 72 उपग्रहों को सफलतापूर्वक भेजा था।

यह उपग्रह संचार की दुनिया में क्रांति लाने वाला है। यह लो अर्थ ऑर्बिट में काम करता है, जिससे सामान्य स्मार्टफोन सीधे 4जी/5जी नेटवर्क से जुड़ सकेंगे। उन दुर्गम इलाकों में जहां मोबाइल टावर लगाना मुश्किल है। जैसे घने जंगल, पहाड़ या नदियों के बीच के क्षेत्र वहां भी अब हाई-स्पीड इंटरनेट और कॉलिंग आसान हो जाएगी।

इससे पुलिसिंग, स्वास्थ्य सेवाएं, आपदा प्रबंधन और शासन की पहुंच में सुधार आएगा, क्योंकि रीयल-टाइम कनेक्टिविटी हर जगह उपलब्ध होगी। भारत के कमर्शियल स्पेस सेक्टर में इसरो की स्थिति और मजबूत होगी, साथ ही वैश्विक स्तर पर साझेदारियां बढ़ेंगी।



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