Delhi car blast जांच में ईडी की एंट्री, उमर का डीएनए मैच

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Delhi car blast: दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए विस्फोट की जांच में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कूद पड़ा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी), खुफिया ब्यूरो (आईबी) और दिल्ली पुलिस के बाद ईडी पांचवीं एजेंसी है जो इस मामले में सक्रिय हो गई है। ईडी का फोकस मुख्य रूप से धन के स्रोत पर है, आरोपियों ने विस्फोटक सामग्री खरीदने के लिए करीब 23 लाख रुपये आखिर कहां से जुटाए? इसके अलावा, फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के वित्तीय लेन-देन की भी पड़ताल होगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गिरफ्तार संदिग्ध डॉक्टर मुजम्मिल गनी, डॉक्टर आदिल, उमर नबी भट्ट और शाहीन शाहिद अंसारी ने मिलकर लगभग 20 लाख रुपये इकट्ठा किए थे। यह रकम उमर को सौंपी गई, जो धमाके में मुख्य भूमिका निभाने वाले के रूप में नाम आ रहा है। इनमें से तीन लाख रुपये गुरुग्राम, नूंह और आसपास के क्षेत्रों से आईईडी (तात्कालिक विस्फोटक उपकरण) बनाने के लिए एनपीके उर्वरक पर खर्च हुए। इन लोगों ने 20 क्विंटल से ज्यादा उर्वरक खरीदा था। दिलचस्प बात ये है कि उमर और मुजम्मिल के बीच ही पैसे बांटने को लेकर झगड़ा भी हुआ था।

मौत का आंकड़ा 13 पहुंचा, तीन घायल गंभीर

लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए इस ब्लास्ट ने दिल्ली को हिला दिया। शुरुआत में नौ लोगों की मौत की खबर आई थी, लेकिन गुरुवार सुबह एक और घायल की जान चली गई, जिससे कुल मृतक 13 हो गए। 20 घायलों में से तीन की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। केंद्र सरकार ने इसे स्पष्ट रूप से आतंकी हमला करार दिया है। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर प्रस्ताव पास कर लिया गया।

पुलिस को शक था कि धमाके में शामिल लोगों के पास दो गाड़ियां थीं। इस आशंका पर दिल्ली के साथ उत्तर प्रदेश और हरियाणा में अलर्ट जारी किया गया। बुधवार को हरियाणा के खंदावली गांव में एक संदिग्ध लावारिस कार मिली।एनएसजी का बम निरोधक दस्ता मौके पर पहुंचा और गाड़ी की तलाशी ली।अभी पूरी जांच पूरी नहीं हुई है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह जगह उमर के ड्राइवर की बहन के घर के पास है। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस अब एक सिल्वर ब्रेजा कार की तलाश कर रही है, जिसका इस्तेमाल आतंकियों ने सामान ढोने के लिए किया था।

तीन बड़े खुलासे, जनवरी से साजिश, दिसंबर का प्लान

जांच में अब तक तीन अहम बातें सामने आई हैं, जो इस साजिश की गहराई बताती हैं:

पहला खुलासा- गणतंत्र दिवस पर निशाना था लाल किला

गिरफ्तार आरोपियों के फोन डेटा से पता चला कि फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मुजम्मिल गनी और डॉ. उमर नबी ने जनवरी महीने में कई बार लाल किले का मुआयना किया था। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ का पैटर्न नोट किया। पुलिस का मानना है कि मूल प्लान 26 जनवरी को हमला करने का था, जो किसी वजह से नाकाम रहा।

दूसरा खुलासा- 6 दिसंबर को दिल्ली पर हमला प्लान

उमर दिल्ली में 6 दिसंबर को बड़ा हमला करना चाहता था, लेकिन मुजम्मिल की गिरफ्तारी से पूरा इंतजाम बिगड़ गया। पूछताछ में आठ संदिग्धों ने यह कबूल किया। यह अंतरराज्यीय आतंकी नेटवर्क का केंद्र फरीदाबाद ही था। गिरफ्तार लोगों में छह डॉक्टर शामिल हैं। श्रीनगर का एक अन्य संदिग्ध डॉ. निसार अहमद फरार है, जो डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर का चेयरमैन रह चुका है। वह भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था। जम्मू-कश्मीर सरकार ने उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।

तीसरा खुलासा- उर्वरक के नाम पर विस्फोटक छिपाए

डॉ. मुजम्मिल गनी किराए के एक कमरे में उर्वरक की बोतलों के बहाने विस्फोटक सामग्री जमा कर रहा था। 20 दिन पहले जब पड़ोसी ने पूछा तो उसने कहा, ‘ये कश्मीर ले जाने के लिए खाद के कट्टे हैं।’ उस कमरे से महज 100 मीटर दूर एक मकान में सीसीटीवी कैमरे हैं, जिनकी फुटेज पुलिस ने जब्त कर ली है।

डीएनए से पुष्टि- उमर की पहचान हुई, जे एंड के मॉड्यूल का कनेक्शन

मंगलवार शाम को आई-20 कार से ब्लास्ट करने वाले डॉ. उमर नबी भट्ट की पहचान डीएनए टेस्ट से हो गई। पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) से उनकी मां के सैंपल लिए गए, जो दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में रखे अज्ञात शवों से मैच कर गए। एआईआईएमएस के विशेषज्ञों ने पुष्टि की है। भट्ट पुलवामा के कोइल गांव का रहने वाला था और अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल सेंटर में नौकरी करता था।

हरियाणा पुलिस ने बुधवार को खंदावली के एक फार्महाउस से लाल फोर्ड ईकोस्पोर्ट कार बरामद की, जो उमर की ही थी। इसकी फॉरेंसिक जांच चल रही है। कार मुख्य रूप से डॉ. मुजम्मिल शकील गनी इस्तेमाल करता था, जो पहले ही गिरफ्तार हो चुका है। फार्महाउस उमर के एक दोस्त का है, जिसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मीडिया को बताया कि धमाके से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश किया था। सात लोगों को गिरफ्तार किया गया। यूनिवर्सिटी के दो अन्य डॉक्टर, डॉ. गनी और डॉ. शाहीन शाहिद अंसारी भी हिरासत में हैं।



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