TENSION ON CHRISTMAS: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 25 दिसंबर को अपने दिन की शुरुआत देशवासियों को क्रिसमस की बधाई देने से की है। बकायदा आज सुबह वह दिल्ली के कैथेड्रल चर्च ऑफ द रिडेम्प्शन पहुंचे प्रार्थना में शामिल हुए और शांति, करुणा व सामाजिक सद्भाव का संदेश भी दिया है लेकिन क्या उनका संदेश उनके उन समर्थकों तक पहुंच रहा है जिन्होंने बीते कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश के कई हिस्सों में कथित धर्मांतरण को मुद्दा बनाकर चर्चों और ईसाई समुदाय के साथ ही सार्वजनिक जगहों पर तोड़फोड़ की है और कर रहे हैं।
पूरी रिपोर्ट इस वीडियो में देखें –
विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के लोग जिस तरह से खुलेआम ईसाई समुदाय के लोगों को धमका रहे हैं, उसकी झलक सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज में देखा जा सकता है । बजरंग दल के सदस्य दिल्ली के लाजपत नगर में सांता कैप पहने महिलाओं-बच्चों को परेशान करते और रायपुर के एक मॉल में सांता क्लॉज की मूर्तियां तोड़ते नजर आ रहे हैं और ऐसी ही अलग अलग तस्वीरें असम से लेकर राजस्थान तक सामने आ रही है।
यह सब तब हो रहा है, जब क्रिसमस से ठीक एक दिन पहले देश में ईसाइयों की सबसे बड़ी संस्था कैथोलिक बिशप कांफ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCD) के अध्यक्ष आर्क बिशप एंड्रयू तझाथ ने प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील की थी कि वे पूरे देश में ईसाई समुदाय के लोगों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करें ।
यह उम्मीद तो की ही जा सकती है कि आज सुबह देश की राजधानी के कैथेड्रल चर्च में प्रार्थना के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री तक आर्क बिशप का यह संदेश पहुंच चुका होगा।
दुखद यह है कि देश में हो रही घटनाएं चिंताजनक तस्वीर पेश कर रही हैं, इस साल क्रिसमस के आसपास और कई महीनों से छत्तीसगढ़ लगभग सुलगता हुआ दिखा, बीजेपी शासित छत्तीसगढ़ के रायपुर में VHP की युवा शाखा ने मैग्नेटो मॉल में लाखों की क्रिसमस डेकोरेशन तोड़ी, कांकेर जिले में एक दफन विवाद के बाद भीड़ ने कम से कम दो चर्च जलाए और ईसाई घरों को नुकसान पहुंचाया, इसके अलावा बीते कुछ महीनों से चर्चों पर हमले, प्रार्थना सभाओं में तोड़फोड़, पादरियों और आम ईसाइयों को धमकियाँ मिल ही रही है, छत्तीसगढ़ के अलग अलग ज़िलों से ईसाई समुदाय को निशाना बनाने की खबरें द लेंस दिखाता रहा है,और ऐसा ही पैटर्न ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, उत्तराखंड, कर्नाटक, झारखंड जैसे राज्यों से भी सामने आया।
हालिया अन्य घटनाओ की बात करें तो राजस्थान के डूंगरपुर में RSS और बजरंग दल ने सेंट जोसेफ चर्च में प्रार्थना के दौरान बाधा डाली, मध्य प्रदेश के जबलपुर में बीजेपी नेता अंजू भार्गव का वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे एक दृष्टिबाधित महिला को क्रिसमस कार्यक्रम के दौरान मारपीट कर रही हैं । इसी तरह केरल के पलक्कड़ में कैरोल टीम्स पर हमले, उत्तराखंड के हरिद्वार में होटल इवेंट रद्द, ओडिशा के भुवनेश्वर में सांता हैट बेचने वालों को धमकियां, और पूरे उत्तर प्रदेश के स्कूलों में क्रिसमस की छुट्टी रद्द कर दी गई हैं और असम के नलबाड़ी में बजरंग दल ने स्कूल तोड़ा और दुकानों में क्रिसमस का सामान जला दिया गया।
ये अलग-थलग घटनाएं नहीं, ये एक पैटर्न है जहां हिंदुत्ववादी संगठन बेखौफ होकर काम कर रहे हैं और भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
इन सभी घटनाओं में अक्सर राज्य सरकारें और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है या पीड़ितों को ही समझाती है, 24 दिसम्बर को रायपुर के मैग्नेटो मॉल में ही हुए हमले के बाद पुलिस के बयान से समझिये, इस घटना के कुछ देर बाद तेलीबांधा थाना प्रभारी अविनाश सिंह ने मीडिया को बताया कि कुछ देर पहले की घटना बताई जा रही है, रायपुर बंद के लिए समर्थन लेने निकले कुछ लोगों ने तोड़फोड़ की है, लेकिन अब तक प्रबंधन की तरफ से कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर पूरे मामले की जांच कर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी, जबकि थाना उस घटना स्थल से 400 मीटर की दूरी पर ही था लेकिन घंटों विवाद के बावजूद पुलिस समय पर नहीं पहुंची लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ लिया और सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने के बाद सवाल उठने लगे तो अगले दिन पुलिस ने बयान बदल लिया और कहा तोड़फोड़ के मामले में पुलिस ने 30 से 40 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है लेकिन वो भी अज्ञात लोगों के खिलाफ ही, जैसा हर मामले में होता आया है और अब तक एक भी गिरफ्तारी नहीं की गयी है जबकि आरोपी चेहरों से पहचाने ही जा रहे थे ।
पूरे भारत की तस्वीर देखें तो ये संकट और गहराता नजर आता है, यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के अनुसार 2025 में नवंबर तक ईसाइयों पर हिंसा के 700 से ज्यादा मामले दर्ज हुए भारत के 3.20 करोड़ ईसाई, जो आबादी का सिर्फ 2.3 % हैं, 2001-2011 में 15.5 % की दर से बढ़े जो राष्ट्रीय औसत 17.7 % से कम है, फिर भी उन्हें हिंदू बहुसंख्यक के लिए ‘खतरा’ बताया जा रहा है, ये नैरेटिव तथ्यों को नजरअंदाज कर डर फैला रहा है, जिससे क्रिसमस का पर्व हिंसा और परेशानी के बीच मनाया जा रहा है।
यह बताने की जरूरत नहीं है कि भारत के संविधान की आत्मा है सेक्युलरिज्म संविधान का आर्टिकल 25 धर्म की स्वतंत्रता, मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने का अधिकार देता है, आर्टिकल 26 धार्मिक संस्थाओं को अपने मामलों का प्रबंधन करने की अनुमति देता है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की बातें हैं लेकिन जब भीड़ तय करे कि कौन प्रार्थना करेगा या उत्सव मनाएगा, तो ये अधिकार खोखले हो जाते हैं ।
सवाल यह है कि पीएम मोदी का संदेश भी क्या उनके समर्थक और सत्तारूढ़ दल से जुड़े विहिप और बजरंग दल जैसे संगठन के लोग भी नहीं सुन रहे हैं, सोशल मीडिया X पर पीएम ने लिखा है, ‘शांति, करुणा और उम्मीद से भरा क्रिसमस सबको मुबारक, यीशु की शिक्षाएं समाज में सद्भाव मजबूत करें।’
इंटरनेट में उपलब्ध जानकारियों के अनुसार 2014 में प्रधानमंत्री बनने और सत्ता संभालने के बाद वे पहली बार 2023 में चर्च गए । 2023 में ईस्टर के मौके पर उन्होंने दिल्ली के सेक्रेड हार्ट कैथेड्रल में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया,उसी साल क्रिसमस पर अपने आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर ईसाई समुदाय के लिए एक कार्यक्रम की मेजबानी की, 2024 में केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन के घर पर क्रिसमस डिनर में गए और कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) के कार्यक्रम में भी शिरकत की ।
भारत में ईसाई और मुसलमान जैसे अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे हमले न केवल अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय है बल्कि दुनिया में इसका सीधा असर भारत की संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के कारण बनी साख पर पड़ रहा है इन हमलो को वैश्विक स्तर पर बड़ी गंभीरता के साथ लिया जा रहा है और जानकार कह रहे हैं कि आने वाले दिनों में इसका असर भारत के कूटनीतिक रिश्तों पर भी दिखाई पड़े तो अचरज नहीं होगा ।
4 दिसंबर 2025 को ब्रुसेल्स में यूरोपीय पार्लियामेंट में “Targeted Violence against Christians in South Asia” पर एक कॉन्फ्रेंस हुई। इसमें भारत में ईसाइयों पर बढ़ते हमलों जिनमें जनवरी से अक्टूबर 2025 तक 600से ज्यादा+ मामले और औसतन रोज 2 हमले को हाइलाइट किया गया, US Commission on International Religious Freedom (USCIRF) ने लगातार भारत को “Country of Particular Concern” (CPC) के लिए रेकमेंड किया है, लेकिन अभी तक ये सिर्फ सिफारिश है ऐसा हुआ नहीं है, लेकिन ऐसा लगातार हो रही उन्मादी कार्रवाइयों के बाद USCIRF की सिफारिश को कभी मान भी लिया गया तो इससे भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि पर बड़ा दाग लग जाएगा ।
इसके अलावा International Christian Concern ने क्रिसमस के एक दिन पहले भारत में हो रहे क्रिश्चियंस पर हमलों पर रिपोर्ट जारी की है और वेटकन से भी अपील की गयी है, ह्यूमन राइट्स ग्रुप्स और कई अंतराष्ट्रीय मीडिया ने कवरेज दी लेकिन बावजूद इसके कोई मजबूत कार्रवाई नहीं हुई।
लेकिन इस बीच नोबेल विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की 1908 की चेतावनी याद आती है, उन्होंने लिखा था – ‘मैं कभी देशभक्ति को मानवता पर हावी नहीं होने दूंगा।’ अगर सरकार सच में ‘सबका साथ, सबका विकास’ में विश्वास रखती है तो उसे चर्चों और धार्मिक स्थलों पर हमलों के दोषियों पर तुरंत सख्त कार्रवाई करनी होगी, पुलिस-प्रशासन की जवाबदेही तय करनी होगी। क्योंकि धर्म से नहीं, नफरत से देश टूटता है।
फिलहाल बीजेपी शासित राज्यों में हमले जारी हैं, तो सवाल है- पीएम का सद्भाव का आह्वान उनके समर्थकों तक पहुंचता है या सिर्फ प्रतीकात्मक है या फिर तुष्टीकरण या अंतराष्ट्रीय समुदाय के लिए ये सन्देश कि यहाँ सब ठीक है! ईसाइयों को ‘क्रिसमस गिफ्ट’ के रूप में डर मिल रहा है, क्या आपको नहीं लगता कि हमने आज़ादी के बाद जिस संविधान को अंगीकृत किया,धर्म निरपेक्षता की जिस राह पर आगे बढे, जिन लोकतांत्रिक मूल्यों को सहेजे रखने के लिए यह देश कुर्बानियां देता रहा । आज ये सब संकट में है, क्या एक नागरिक के तौर पर हमारी भी जिम्मेदारी नहीं है कि हम देश की एकता और अखंडता को बचाने की लड़ाई का हिस्सा बनें न कि मूकदर्शक!

