DSP कल्पना वर्मा–दीपक टंडन केस : आरोप लगाने वाले दीपक टंडन के अतीत पर उठे गंभीर सवाल, फर्जीवाड़े से लेकर घोटालों के नेटवर्क तक चर्चा

NFA@0298
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DSP Kalpana Verma–Deepak Tandon case: डीएसपी कल्पना वर्मा पर गंभीर आरोप लगाकर सुर्खियों में आए दीपक टंडन अब खुद विवादों के घेरे में आ गए हैं। अलग–अलग मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आए तथ्यों के अनुसार, टंडन के अतीत, कारोबारी गतिविधियों और कथित रसूख को लेकर कई चौंकाने वाले आरोप उभरकर सामने आ रहे हैं।

दीपक टंडन के बारे में आ रही जानकारी के मुताबिक, जिस व्यक्ति ने एक महिला पुलिस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए, उस पर पहले से ही फर्जीवाड़े, कथित सौदेबाजी और प्रभाव के दुरुपयोग जैसे आरोप लगते रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दीपक टंडन का नाम पर्चा लीक जैसे मामलों से जुड़ी चर्चाओं में भी सामने आया है। पर्चा लीक का यह केस 2018 का है, जब रायपुर के बीरगांन के रहने वाले एक व्यक्ति जितेंद्र देवांगन ने रायपुर सिविल लाइंस थाने में एफआईआर कराई थी।

एफआईआर के आधार पर आरआई भर्ती परीक्षा में टेस्ट से पहले ही पेपर उपलब्ध कराने की बात कही थी और उसके बदले रकम भी ली थी। 13 अप्रैल 2018 को दीपक टंडन ने फोन कर पर्चा लीक करने की बात कही थी। दीपक टंडन पर आरोप है कि वह अपने कथित संपर्कों का हवाला देकर लोगों को यह विश्वास दिलाता था कि वह सिस्टम के भीतर “काम करवा सकता है”। कई मामलों में कथित रूप से पैसे लेकर नौकरी, केस मैनेजमेंट या अन्य लाभ दिलाने की बात कही जाती रही।

रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि टंडन के संबंध कोयला और शराब घोटाले से जुड़े कुछ अफसरों और प्रभावशाली लोगों से रहे हैं। हालांकि इन मामलों में उसकी सीधी भूमिका को लेकर कोई अंतिम जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई है, लेकिन मीडिया में बार-बार उसका नाम संदिग्ध नेटवर्क के संदर्भ में उछल रहा है। यही वजह है कि अब उसके दावों और बयानों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, दीपक टंडन पर यह आरोप भी हैं कि उसने अलग-अलग लोगों से मोटी रकम लेकर काम कराने का आश्वासन दिया, लेकिन काम न होने पर विवाद की स्थिति बनी। कुछ मामलों में पीड़ितों ने अपने स्तर पर शिकायतें भी कीं, जिनकी जानकारी समय-समय पर मीडिया में सामने आती रही है।

डीएसपी कल्पना वर्मा पर लगाए गए आरोपों के बाद शुरू में मामला एकतरफा नजर आ रहा था, लेकिन जैसे-जैसे टंडन का पुराना रिकॉर्ड और कथित कारनामे सामने आए, वैसे-वैसे पूरे प्रकरण का नैरेटिव बदलता चला गया। अब सवाल यह उठ रहा है कि कहीं यह पूरा मामला दबाव बनाने, सौदेबाजी या किसी बड़े खेल का हिस्सा तो नहीं है।

राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और व्यापक जांच होनी चाहिए, ताकि सच सामने आ सके। जानकारों का कहना है कि न सिर्फ लगाए गए आरोपों की, बल्कि आरोप लगाने वाले व्यक्ति की पृष्ठभूमि, लेन-देन और नेटवर्क की भी गहन पड़ताल जरूरी है।

फिलहाल, यह मामला मीडिया, प्रशासन और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि जांच एजेंसियां इस पूरे प्रकरण को किस दिशा में ले जाती हैं और सच आखिरकार किसके पक्ष में सामने आता है।



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