जांजगीर–चांपा। CG NEWS: छत्तीसगढ़ सरकार भले ही धान खरीदी को लेकर बड़े–बड़े दावे कर रही हो और करोड़ों रुपये किसानों की सुविधा में खर्च करने की बात कह रही हो… लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयान करती है। जहां जांजगीर–चांपा जिले की बम्हनीडीह धान मंडी में ऐसा कारनामा सामने आया है जिसने न सिर्फ किसानों को हिलाकर रख दिया है, बल्कि सिस्टम की पोल भी खोल दी है।
यहां किसानों की जानकारी के बिना टोकन काटे जा रहे हैं, और तो और… मंडी अध्यक्ष के नाम से भी बिना बताए टोकन काट दिया गया! इतना ही नहीं — जितनी लिमिट का टोकन होना चाहिए था… उससे कम मात्रा में टोकन काटकर पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है। मामला सामने आने पर मंडी प्रभारी और ऑपरेटर गोल–मोल जवाब देते हुए बचने की कोशिश कर रहे हैं।
देखिए हमारी यह खास रिपोर्ट — जिसमें खुलासा होता है टोकन घोटाले का पूरा नेटवर्क।

सरकार कहती है—किसानों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी… धान खरीदी पारदर्शी होगी… और टोकन सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन बम्हनीडीह धान मंडी की तस्वीरें इन दावों की सच्चाई खोलकर रख देती हैं। लगातार किसान मंडी के चक्कर लगा रहे हैं… टोकन कटवाने के लिए घंटों लाइन में खड़े होते हैं… लेकिन जब उनका टोकन निकलता है तो पता चलता है कि उनके नाम से पहले ही कोई और टोकन कट चुका है।
सबसे बड़ी बात—किसान को तो पता तक नहीं कि उसका टोकन किसने काटा! यहां तक कि मंडी अध्यक्ष—जो खुद सिस्टम की निगरानी करते हैं—उन तक नहीं छोड़ा गया। अध्यक्ष के नाम से भी बिना जानकारी के टोकन काट दिया गया, और लिमिट से कम क्वांटिटी में टोकन जारी कर दिया गया। जब अध्यक्ष ने मंडी प्रभारी और सिस्टम ऑपरेटर से सवाल पूछा, तो जवाब मिला— सर, सिस्टम की गलती है… हम कुछ नहीं कर सकते… लेकिन मंडी में काम करने वाले कर्मचारी ये भूल गए कि अब किसान भी सवाल पूछता है… और जवाब भी चाहता है।
तो वही किसानों का आरोप है कि— जानबूझकर कम लिमिट के टोकन काटे जाते हैं, कुछ चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए खेल खेला जा रहा है, ऑनलाइन सिस्टम की आड़ में किसानों का हक छीना जा रहा है। जहां इस घोटाले ने साफ कर दिया है कि मंडी में सिस्टम से ज्यादा हाथ किसी और का चल रहा है। और यदि मंडी अध्यक्ष के नाम से बिना अनुमति टोकन काटा जा सकता है— तो सोचिए आम किसान का क्या हाल होगा?
बम्हनीडीह धान मंडी में सामने आया यह पूरा मामला गंभीर है और सीधा–सीधा भ्रष्टाचार का संकेत देता है। अब गेंद प्रशासन के पाले में है— क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर त्वरित कार्रवाई होगी? या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?



