झारखंड शराब घोेटाले में ईडी टूटेजा, त्रिपाठी और ढेबर से करेगी पूछताछ, रांची में भी केस दर्ज

NFA@0298
3 Min Read



रायपुर, 3 दिसंबर। छत्तीसगढ़ शराब घोेटाले में जेल में बंद पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा, पूर्व  आईटीएस अफसर एपी त्रिपाठी,कारोबारी और पूर्व महापौर के भाई अनवर ढेबर की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही। अब उन्हें झारखंड शराब घोटाले की जांच, पूछताछ से भी गुजरना होगा। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड शराब घोटाले की जाँच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से औपचारिक रूप से अपने हाथ में ले ली है और मामले की अपनी जाँच शुरू कर दी है।

ईडी सूत्रों ने पुष्टि की है कि एजेंसी ने एसीबी मामला 9/2025 को अपनाया है और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत 10/2025 संख्या वाली एक समानांतर प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है।

ईसीआईआर दर्ज होने के बाद, ईडी ने रांची स्थित विशेष पीएमएलए अदालत में एसीबी द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ की अनुमति मांगी। अदालत ने एजेंसी को वर्तमान में जेल में बंद व्यक्तियों से पूछताछ करने और उनके बयान दर्ज करने की अनुमति दे दी।

ईडी के आवेदन की फाइलिंग संख्या 11431/2025 और पंजीकरण संख्या 10/2025 थी। ईडी के हस्तक्षेप और पीएमएलए के तहत अपनी जाँच शुरू करने के साथ, इस मामले ने एक महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया है और इस घोटाले में जाँच का एक नया स्तर जुड़ गया है।

गौरतलब है कि यह मामला सबसे पहले आर्थिक अपराध शाखा ने रांची के अरगोड़ा थाना क्षेत्र निवासी विकास सिंह के बयान के आधार पर दर्ज किया था। सिंह ने छत्तीसगढ़ के अधिकारियों अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और अन्य पर शराब घोटाले के ज़रिए छत्तीसगढ़ सरकार को अरबों रुपये का राजस्व नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया था। छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज प्राथमिकी (36/2024) के बाद, एसीबी रांची ने भी एक प्रारंभिक जाँच (पीआई) दर्ज की। जाँच के दौरान, एसीबी ने पूर्व आबकारी सचिव विनय चौबे और गजेंद्र सिंह से कई बार पूछताछ की। प्रारंभिक पूछताछ के दौरान प्राप्त जानकारी के आधार पर, एसीबी ने सरकार की मंज़ूरी से शराब घोटाले से संबंधित एक नियमित प्राथमिकी दर्ज की।

मार्च 2025 में छत्तीसगढ़ में दर्ज प्राथमिकी की जाँच पूरी करने के बाद, आर्थिक अपराध शाखा ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर विनय चौबे और गजेंद्र सिंह के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मांगी।

एसीबी ने कथित शराब घोटाले की प्रारंभिक जाँच पूरी करने के बाद मई में प्राथमिकी दर्ज की। प्राथमिकी में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे, आबकारी विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह, विनय सिंह और सात अन्य को आरोपी बनाया गया है।

प्राथमिकी के बाद, एसीबी ने विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया। अब तक इस मामले में एक दर्जन से ज़्यादा गिरफ्तारियाँ हो चुकी हैं, जिनमें से कई को ज़मानत मिल गई है। एसीबी स्वतंत्र रूप से अपनी जांच जारी रखे हुए है।



Source link

Share This Article
Leave a Comment