हैदराबाद में जन सम्मेलन, कार्यकर्ताओं ने ठाना ‘फासीवाद को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे’

NFA@0298
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हैदराबाद | तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में 6 दिसंबर को शहीद अशफाकउल्ला खान-रामप्रसाद बिस्मिल हॉल (एल बी नगर) में ‘RSS फासीवाद विरोधी जन सम्मेलन’ (public conference in hyderabad) सफलतापूर्वक आयोजित हुआ। देश के 13 राज्यों से आए दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, महिला, मजदूर, किसान, छात्र-युवा और सांस्कृतिक संगठनों के कुल 29 प्रतिनिधियों ने एक स्वर में हुंकार भरी कि अब फासीवाद के खिलाफ चुप्पी नहीं, लगातार और दृढ़ संघर्ष ही एकमात्र रास्ता है। सम्मेलन का उद्घाटन रिटायर्ड जस्टिस वी. चंद्रकुमार ने किया, जबकि अध्यक्षता आयोजन समिति के अध्यक्ष सैयद कमाल अथर और संचालन संयोजक आर. मानसैया ने की।

मुख्य आधार वक्तव्य भाकपा (माले) रेड स्टार के महासचिव पी.जे. जेम्स ने रखा। छत्तीसगढ़ से प्रसाद राव, एडवोकेट शाकिर कुरैशी, सोरा और तुहिन देव ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच (RCF) के कलाकारों ने जोशीले गीत और नृत्य पेश किए।

सम्मेलन में सभी वक्ताओं ने एकमत से माना कि आज देश पर आरएसएस-भाजपा की फासीवादी जकड़ लगातार मजबूत हो रही है। मेहनतकश और उत्पीड़ित जनता के सामने सबसे बड़ा और तात्कालिक काम यही है कि फासीवाद को पूरी तरह उखाड़ फेंका जाए। इसके लिए न केवल सड़कों पर लगातार प्रतिरोध तेज करना होगा, बल्कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को हराने की रणनीति को और तेज करना होगा। प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि अगर अभी नहीं चेते तो लोकतंत्र, संविधान और आम जनता की आजादी सब खत्म हो जाएगी।

सम्मेलन ने सर्वसम्मति से दो बड़े प्रस्ताव पारित किए। पहला फासीवाद के खिलाफ देशव्यापी, लगातार और दृढ़ संघर्ष को और मजबूत किया जाएगा। दूसरा देश के सभी फासीवाद-विरोधी जन संगठनों और समान विचारधारा वाली ताकतों का एक अखिल भारतीय समन्वय समिति बनाई जाएगी, जो पूरे देश में एकजुट होकर फासीवाद विरोधी अभियान चलाएगी।

प्रतिनिधियों ने संकल्प लिया कि यह लड़ाई अब किसी एक राज्य या संगठन की नहीं, बल्कि पूरे देश के मेहनतकश और उत्पीड़ित लोगों की साझा लड़ाई है।सम्मेलन के बाद कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया। सभी ने एक स्वर में नारा लगाया “फासीवाद का डटकर मुकाबला करो, उसे जड़ से उखाड़ फेंको!” आयोजकों का कहना है कि यह सिर्फ एक सम्मेलन नहीं, बल्कि देशव्यापी फासीवाद-विरोधी आंदोलन की नई शुरुआत है।



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