रायपुर। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में करीब 17 सौ हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वन प्रयोजन हेतु डायवर्ट करने की वन विभाग की अनुशंसा को पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने दुखद बताया। टीएस सिंहदेव ने सोशल मीडिया एक्स में एक वीडियो पोस्ट किया है।
टीएस सिंहदेव ने कहा कि रामगढ़ पहाड़ (Ramgarh Hill) केते खदान के 10 किमी की परिधि में है, इसके सभी दस्तावेज जमा करने के बाद पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी देना चिंताजनक है।
पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि 1700 हेक्टेयर जंगल के सफाए से रामगढ़ पहाड़ी जैसे पुरातात्विक, सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर स्थल को भारी क्षति पहुंचेगी। यह सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि यह हमारी पहचान, हमारी विरासत और हमारे आदिवासी भाइयों-बहनों के जीवन से जुड़ा सवाल है।
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टीएस सिंहदेव ने आगे कहा कि ऐसी अनदेखी को लोग माफ नहीं करेंगे। उन्होंने विभाग के इस फैसले को रोकने के लिए कानूनी सलाह लेने की बात भी कही है।
उन्होंने आगे कहा कि इस पूरे मामले पर राहुल गांधी से भी चर्चा करेंगे, क्योंकि उन्हीं के स्पष्ट निर्देशों पर आदिवासी समुदाय की रक्षा के लिए पहले इन संवेदनशील क्षेत्रों में खनन रोका गया था।
इससे पहले टीएस सिंह देव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि रामगढ़ पहाड़ी का धार्मिक महत्व है और खनन गतिविधियों के कारण पहाड़ी और मंदिर में दरारें आ रही हैं।
टीएस सिंह देव ने मुख्यमंत्री को 6 पन्नों का तथ्यात्मक पत्र लिखकर सरगुजा की धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर रामगढ़ पर्वत को बचाने की गुहार भी लगाई थी। उन्होंने अपने पत्र में कहा था कि डीएफओ ने गलत जानकारी देकर एनओसी दी है।
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