श्रीमद् भागवत कथा से ही होगा मनुष्य का कल्याण – मनीष चन्द्र त्रिपाठी

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बस्ती – भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है, वही साक्षात भागवत है। श्रीमद् भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य के समस्त इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। इसके लिए मनुष्य को निर्मल भाव से कथा सुनने और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं।
लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है। यह सद् विचार श्री धाम वृंदावन से पधारे आचार्य मनीष चंद्र त्रिपाठी ने दुधौरा, कप्तानगंज में आयोजित 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन हुये व्यासपीठ से व्यक्त किया। आचार्य जी ने कहा कि सत्य को समर्पित करने वाला ही सत्ता का अधिकारी है। सत्य स्वरूप परमात्मा के प्रति जब जीव का समर्पण होता है तभी कर्तव्य का ज्ञान होता है। महात्मा जी ने कलयुग के प्रवेश, धर्म के दुःखी होने, नारद के प्रयास और परमात्मा के अवतारों का विस्तार से वर्णन करते हुये कहा कि भागवत कथा के श्रवण से वासना की ग्रन्थियां टूटती है।
वैकुण्ठ में जो आनन्द है वही भागवत कथा में मिलता है। मंगलाचरण के महत्व का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने कहा कि सत्कर्मो में अनेक विघ्न आते हैं। भगवान शिव का सब कुछ अमंगल है किन्तु उनका स्मरण मंगलमय है। उन्होने काम को जलाकर राख कर दिया, मनुष्य जब तक सकाम है उसका मंगल नहीं होता। ईश्वर के अनेक स्वरूप हैं किन्तु तत्व एक है। ध्यान करने से ईश्वर और जीव का मिलन होता है। जगत की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश भी लीला है।
कृष्ण गांधारी से मिलने गये तो गांधारी ने उन्हें शाप दिया कि तुम्हारे बंश में कोई भी नहीं रहेगा। इसमें भी श्रीकृष्ण आनन्दित है। कथा का विस्तार से वर्णन करते हुये महात्मा जी ने आत्मदेव, गोकर्ण, धुन्धकारी और मंगलाचरण प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुये कहा कि मांगने से प्रेम की धारा टूट जाती है। प्रभु से कुछ मत मांगो, ईश्वर को अपना ऋणी बनाओ। ईश्वर पहले हमारा सर्वस्व ले लेते हैं और फिर अपना सर्वस्व हमें दे देते हैं। गोपियां ने भगवान से कुछ नहीं मांगा, गोपियों का प्रेम शुद्ध है। वे जब भी भगवान का स्मरण करती हैं तो ठाकुर जी को प्रकट होना पड़ता है।
कलावती मिश्रा एवं विद्या प्रसाद मिश्र ने परिजन और श्रद्धालुओं के साथ कथा व्यास का विधि विधान से पूजन अर्चन किया। कथा में मुख्य रूप से श्रीमती कलावती मिश्रा एवं विद्या प्रसाद मिश्र दुर्गेश कुमार मिश्रा ,अभिनव पांडेय, आरती पाण्डेय ,संजू त्रिपाठी रोली पाण्डेय, ने परिजन और श्रद्धालुओं के साथ कथा व्यास का विधि विधान से पूजन अर्चन किया। व्यासमुनि पाठक, जमुना प्रसाद, वीरेंद्र मिश्र, अजय शंकर, बैजनाथ मिश्र, जयराम मिश्र, मनोज मिश्रा विपिन मिश्रा हरेंद्र मिश्र अनिल मिश्रा निखिल, अनुराग मिश्र के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।



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