
- बैठक में 36 दलों के 50 नेताओं ने लिया हिस्सा
- इस सत्र में केवल 15 बैठकें होंगी: गोगोई
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले केंद्र सरकार ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदन के नेता और केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री शामिल हुए। बैठक में 36 दलों के 50 नेताओं ने हिस्सा लिया। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और उनके दो उप मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन मौजूद रहे। बैठक में मुख्य रूप से एसआईआर का मुद्दा छाया रहा, लेकिन दिल्ली में धमाके के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति और श्रम कोड जैसे अन्य मुद्दों पर भी नेताओं ने चर्चा की।
कुछ नेताओं ने संघीय ढांचे की ओर भी ध्यान दिलाया और आरोप लगाया कि राज्य सरकारों की ओर से पारित किए गए बिलों को राज्यपाल रोक रहे हैं और विपक्ष शासित राज्यों की राशि रोकी जा रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की ओर से राज्यसभा सांसद पी संतोष कुमार बैठक में शामिल और उन्होंने सरकार के सामने कई गंभीर मुद्दे उठाए। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति पर गहरी चिंता जताई और हाल ही में दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके को सरकार की सुरक्षा व्यवस्था की नाकामी का बड़ा उदाहरण बताया।
उन्होंने कहा कि इतनी संवेदनशील जगह पर धमाका होना न केवल खुफिया चूक दिखाता है, बल्कि सुरक्षा तैयारी में कमजोरी की भी ओर इशारा करता है।भाकपा सांसद ने चुनाव आयोग के रुख पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग तानाशाही कर रहा है और विभिन्न राज्यों में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर विपक्ष की चिंताओं पर ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता, स्वतंत्रता और विश्वसनीयता भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की रीढ़ है और विपक्ष की वैध आपत्तियों पर चुनाव आयोग का बात न करना संस्थाओं के कमजोर होने का संकेत देता है। उन्होंने संसद से इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की मांग की।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बैठक के बाद रविवार को यहां संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा सभी दलों के सदन के नेताओं के साथ हुई बैठक बहुत अच्छी, अत्यंत उपयोगी और सौहार्दपूर्ण रही। विपक्ष के सभी नेताओं ने सौहार्दपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी और इसके लिए मैं सभी दलों के सदन के नेताओं का आभार व्यक्त करता हूँ। सभी ने इसमें उत्साह से भाग लिया और अपनी-अपनी पार्टी के विचार रखे। उन्होंने कहा बैठक में राज्यसभा में सदन के नेता जे.पी. नड्डा, मंत्रिमंडल के सहयोगियों और मैंने सभी सुझावों को नोट कर लिया है और दोनों सदनों को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए सभी नेताओं के सुझावों और प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। दोनों सदनों की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में इन मुद्दों को भी प्रस्तुत किया जाएगा।
संसद के शीतकालीन सत्र से पूर्व सर्वदलीय बैठक में विपक्ष की ओर से आज सरकार के समक्ष देश की सुरक्षा, लोकतंत्र और ढांचे पर कथित प्रहार जैसे मुद्दे उठाए गए। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए शीतकालीन सत्र के छोटा होने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस सत्र में केवल 15 बैठके होंगी। यह शायद अब तक का सबसे छोटा सत्र होगा। इससे सरकार की गंभीरता पता चलती है। सत्र को आयोजित करने में भी अनावश्यक देरी की गई है। इससे प्रतीत होता है कि लोकतंत्र और संसदीय मर्यादा को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने बताया कि विपक्ष की ओर से सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया। दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट कानून व्यवस्था की विफलता का उदाहरण है। सरकार इस पर छोटी भी चर्चा करने को तैयार नहीं है। इसके अलावा वायु प्रदूषण, किसान और मजदूरों की आमदनी, प्रकृति आपदाएं भी चुनौतियां बनी हुई है और सरकार इसके लिए कुछ नहीं कर रही।
उन्होंने कहा कि देश की विदेश नीति भी प्रभावित हो रही है और किसी अन्य देश के कहने पर रूस से तेल आयात रोका जा रहा है। देश में लोगों का डाटा भी सुरक्षित नहीं है और सरकार भी एआई के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि कल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में विपक्षी दल बैठक करेंगे और आगे की रणनीति तय की जाएगी। बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र कल सोमवार एक दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान संसद में जबरदस्त हंगामा देखने को मिल सकता है।
विपक्ष विशेष मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम (एसआईआर) को लेकर सत्ता पक्ष को घेरने की रणनीति बना रहा है। सत्र के दौरान संसद के अंदर से लेकर बाहर तक एसआईआर पर विपक्ष का जबरदस्त प्रदर्शन देखने को मिल सकता है। वहीं, सरकार मदनी के जिहाद विवाद पर आक्रामक रुख अपना सकती है। सरकार इस सत्र में परमाणु ऊर्जा विधेयक सहित दस विधेयक पेश कर सकती है।

