प्राचार्य डॉ. श्रीमती सविता मिश्रा ने कहा, “छत्तीसगढ़ी भाषा हमारी संस्कृति की धरोहर है”
राजिम,,,शासकीय राजीव लोचन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजिम में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित और राजगीत का गान कर किया गया ।

हिंदी विभागाध्यक्ष योगेश कुमार तारक ने अपने उद्बोधन वक्तव्य में कहा कि – छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के गठन एवं उनके योजनाओं के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए – भाषा और साहित्य के इतिहास पर अपना वक्तव्य दिया, हिन्दी भाषा से पहले ही छत्तीसगढ़ी भाषा का व्याकरण लिखा जा चुका था।
मुख्य अतिथि के रूप में प्राचार्य डॉ. श्रीमती सविता मिश्रा ने अपने व्याख्यान में छत्तीसगढ़ी भाषा के विस्तार और उसके भौगोलिक आधार पर चर्चा करते हुए कहा कि – कैसे एक ग्रामीण और शहरी परिवेश में भाषा अपना भाव और रूप बदल देती है, छत्तीसगढ़ी भाषा न केवल हमारी संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। छत्तीसगढ़ी भाषा विज्ञान में सम्बोधन सूचक वाक्य का महत्व आपके द्वारा बताए गए तथा आपने छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोगिता पर भी प्रकाश डाले।
वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष श्री एम.एल. ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा बोलने में बहुत सहज और सरल है, लेकिन लिखने में थोड़ी कठिनाई होती है। हालांकि, आज भी छत्तीसगढ़ी साहित्य का सृजन छत्तीसगढ़ी भाषा को मजबूती प्रदान कर रहा है।
कार्यक्रम में स्नातक और स्नातकोत्तर के छात्रों ने छत्तीसगढ़ी गीत और भाषण प्रस्तुत किए।भाषण में गायत्री वर्मा,चुनेश्वरी टुकेश्वरी, गीत में हर्षिता,प्रीति, खोमेश्वरी, कविता में नमिता,गूंजा, देवानंदिनी,और गीता आदि विद्यार्थियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का संचालन तरूण साहू ने किया और छत्तीसगढ़ी गीत “चोला माटी केहे राम” का गान करके छात्रों का उत्साह वर्धन किया। कार्यक्रम में डॉ. राजेश बघेल, डॉ.भानुप्रताप नायक,श्री मुकेश कुर्रे,सुश्री चित्रा खोटे, श्रीमती श्वेता खरे,श्रीमती क्षमा शिल्पा चौहान, सुश्री मनीषा भोई,अतिथि व्याख्याता डॉ. अश्वनी कुमार साहू ,हेमचंद साहू श्री डहरु सोनकर, श्री तोपचंद बंजारे, खोमन साहू,धन्यवाद ज्ञापन छात्रा अंजू साहू ने किया।

