
गोरखपुर। गोरखपुर नगर निगम ने एक बार फिर अपनी नवाचारी कार्यप्रणाली से देशभर में पहचान बनाई है। नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित ‘राष्ट्रीय जल पुरस्कार’ समारोह में गोरखपुर को जल संचय जन भागीदारी अभियान (JSJB 1.0) में उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान तथा उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। यह सम्मान महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के कर-कमलों से गोरखपुर के महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव और नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने ग्रहण किया।
सम्मान में नगर निगम को प्रशस्ति पत्र के साथ 2 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि भी प्राप्त हुई, जो स्थानीय जल संरक्षण, जन भागीदारी और सतत विकास के क्षेत्र में गोरखपुर की अनूठी पहल का प्रत्यक्ष प्रमाण है। यह क्षण न केवल नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे गोरखपुर नगर और उसके हर नागरिक के लिए गौरव का क्षण है, जिन्होंने इस अभियान में अपना सहयोग और समर्थन दिया।
*जल संरक्षण में ऐतिहासिक कदम
गोरखपुर नगर निगम द्वारा चलाए गए जल संचयन जन भागीदारी अभियान के तहत वर्षा जल संचयन, पारंपरिक जल स्रोतों जैसे तालाबों एवं कुओं की सफाई, नदियों और नालों के पुनर्जीवन, और तकिया घाट पर प्राकृतिक जल शोधन (नेचुरल वॉटर प्यूरीफिकेशन) जैसे अभिनव प्रयास किए गए। इन कार्यों को न केवल स्थानीय स्तर पर सराहा गया, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विशेष प्रशंसा मिली।
राष्ट्रीय जल पुरस्कार का यह सम्मान बताता है कि गोरखपुर की जल संरक्षण गतिविधियाँ अनूठी और प्रभावशाली रही हैं। यह अभियान केवल जल संरक्षण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें सामुदायिक सहभागिता को भी प्राथमिकता दी गई। स्थानीय नागरिकों, सामाजिक संगठनों और विद्यालयों की सक्रिय भागीदारी ने इस अभियान को जन आंदोलन का स्वरूप प्रदान किया।
यह सफलता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पर्यावरण संरक्षण के प्रति दूरदर्शी नीतियों और मार्गदर्शन का परिणाम है। उन्होंने प्रदेश में नगर निकायों को जल संरक्षण के दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया और आवश्यक संसाधन व नीतिगत सहयोग उपलब्ध कराया। गोरखपुर नगर निगम के जल संरक्षण प्रयास भी इसी नीति का उत्तम उदाहरण हैं।
महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने पुरस्कार ग्रहण करते हुए कहा कि यह सम्मान गोरखपुर की जनता की सामूहिक जीत है। “यह पुरस्कार हम सबका है, जो हर गोरखपुरवासी की मेहनत और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक है। हमें इसे और आगे बढ़ाना है।
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने इस उपलब्धि को नगर निगम की टीम व जनता के सहयोग का परिणाम बताते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य शहर को जल-सुरक्षित, स्वच्छ और सतत बनाना है। इस दिशा में किए गए प्रयासों को देश के सर्वोच्च स्तर पर मान्यता मिलना हमारी प्रेरणा बढ़ाता है।
इस अभियान में एक बड़ा भाग समुदाय की सक्रिय भागीदारी का रहा। वर्षा जल संचयन से लेकर तालाबों की सफाई तक, शहर के विभिन्न वार्डों में आयोजित जागरूकता कार्यक्रमों ने नागरिकों को जल संरक्षण के प्रति सचेत किया। तकिया घाट पर स्थापित नेचुरल वाटर फिल्ट्रेशन सिस्टम, जो बिना किसी रसायन के नदी के प्रदूषित पानी को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करता है, इस अभियान की एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि है। इसे ‘गोरखपुर मॉडल’ की तरह देखा जा रहा है, जिसका प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है।
अब यह पुरस्कार आने वाले समय में गोरखपुर के विकास और पर्यावरणीय प्रयासों को और सशक्त करेगा। नगर निगम की योजना है कि भविष्य में अधिक से अधिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाए, वर्षा जल संचयन के नए मॉडल लागू हों, और हर नागरिक तक स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
इस अवसर पर गोरखपुर नगर निगम और स्थानीय प्रशासन ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे जल संरक्षण के इस अभियान में निरंतर योगदान दें और शहर को स्वच्छ, सुंदर और सतत विकास की दिशा में अग्रसर रखें।
यह सम्मान यह प्रदर्शित करता है कि सामूहिक प्रयास और समर्पित नेतृत्व से अब गोरखपुर केवल शिक्षा और सांस्कृतिक केंद्र ही नहीं, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी देश का अग्रणी शहर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

