राजस्थान में वीबी- जी राम जी क़ानून का विरोध, मजदूर संगठनों ने क्या कहा?

NFA@0298
3 Min Read



-मोहर सिंह मीणा

राजस्थान के मजदूर संगठनों ने विकसित भारत- गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) क़ानून को ‘मज़दूरों के हितों पर प्रहार’ बताया है.

विकसित भारत- गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) वीबी- जी राम जी क़ानून के विरोध में राज्य में प्रदर्शन किया जा रहा है और रैलियां निकाली जा रही हैं.

मज़दूर संगठनों की ओर से इस नए क़ानून के विरोध में सोमवार को जयपुर के पिंकसिटी प्रेस कल्ब में एक संयुक्त प्रेस वार्ता बुलाई गई.

इस दौरान आरटीआई, न्यूनतम मज़दूरी और मनरेगा जैसे क़ानूनों के लिए देशभर में मज़बूत आंदोलन खड़ा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय और निखिल डे ने “मनरेगा नहीं तो वोट नहीं का नारा” दिया.

अरुणा रॉय ने कहा, “मनरेगा के लिए हुआ आंदोलन खून पसीने से लड़ा गया था. मनरेगा की जगह वीबी- जी राम जी क़ानून एक व्यक्ति की गरिमा के ऊपर चोट है. मनरेगा की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तारीफ़ हुई थी, अब नए क़ानून से देश के 26 करोड़ लोग प्रभावित होंगे. हम हर ग्राम सभा में मनरेगा वापस लाने के लिए दबाव डालेंगे.”

उन्होंने आगे कहा, “इसके विरोध में हम वार्ड पंच, सरपंच, प्रधान, विधायक और सांसदों के पास जाएंगे. प्रधानमंत्री को लाखों चिट्ठियां भेजेंगे. दो दिन में क़ानून बना दिया, ना स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा और न ही चर्चा के लिए समय दिया गया. यह लोकतांत्रिक तरीक़ा नहीं है.”

निखिल डे ने कहा, “नाम बदल रहे हैं और दिन बढ़ा रहे हैं, यह भ्रमित करने वाला है. इसमें सवा सौ दिन की गारंटी नहीं है, एक दिन की भी गारंटी नहीं है.”

उन्होंने कहा, “मनरेगा के तहत ग्रामीण भारत में किसी भी स्तर पर काम मांगने पर पंद्रह दिन में काम नहीं मिलने पर भत्ता देना होता था. अब नए क़ानून के सेक्शन पांच में कहा गया है कि ये राज्य के उन ग्रामीण इलाकों में चलाया जाएगा, जहां केंद्र सरकार अधिसूचित करेगी, इससे गारंटी छिन जाएगी.”

संयुक्त मज़दूर संगठनों की मांग है कि वीबी- जी राम जी कानून को तुरंत वापस लिया जाए. (bbc.com/hindi)



Source link

Share This Article
Leave a Comment