
म्यांमार में रविवार को कड़े प्रतिबंधों के बीच मतदान शुरू हुआ, लेकिन मतदान केंद्रों तक पहुंचने वाले मतदाताओं की संख्या बेहद कम रही.
सत्तारूढ़ सैन्य शासन इस चुनाव को सत्ता पर कब्ज़े के पांच साल बाद लोकतंत्र की वापसी बता रहा है. इस तख्तापलट के बाद देश गृहयुद्ध की चपेट में चला गया था.
म्यांमार में प्रमुख राजनीतिक दलों को भंग कर दिया गया है, उनके कई नेता जेल में हैं और देश में जारी गृहयुद्ध के कारण देश के क़रीब आधे इलाक़े में मतदान होने की संभावना नहीं है.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पश्चिमी देशों के राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने एक महीने तक चलने वाले इस चुनाव की कड़ी आलोचना की है.
उनका कहना है कि यह चुनाव सैन्य समर्थकों के पक्ष में तैयार किया गया है और असहमति पर सख़्त कार्रवाई की जा रही है.
न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़, सेना समर्थक यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने की संभावना जताई जा रही है. आलोचकों का कहना है कि यह सैन्य शासन को नए नाम के साथ पेश करने की कोशिश है.
क़रीब पांच करोड़ आबादी वाला दक्षिण-पूर्व एशिया का यह देश लंबे समय से गृहयुद्ध से जूझ रहा है, जहाँ विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाक़ों में मतदान नहीं हो रहा है.
सैन्य शासन के नियंत्रण वाले इलाक़ों में तीन चरणों में होने वाले मतदान का पहला दौर स्थानीय समयानुसार सुबह छह बजे शुरू हुआ.
म्यांमार में आम चुनाव के लिए मतदान का दूसरा चरण 11 जनवरी को और तीसरा चरण 25 जनवरी को होगा.
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, वोटों की गिनती और चुनाव नतीजों के एलान की तारीख़ अभी नहीं बताई गई है. (bbc.com/hindi)

