राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर सर्व हिन्दू समाज केसरा मंडल (सोनपुर, तरीघाट, केसरा, खम्हरिया, भनसूली, डगानिया, तेलीगुंडरा) द्वारा विशाल हिन्दू सम्मेलन का आयोजन मां ज्वाला की पुण्यभूमि पाटन में सम्पन्न हुआ।
विशाल हिन्दू सम्मेलन की शुरुआत भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ। शोभायात्रा विशाल झांकी, भगवा ध्वजवाहक और भव्य देशभक्ति एवं धार्मिक गीतों के साथ निकला। शोभायात्र के दौरान पूरा क्षेत्र जय जय श्रीराम के जयघोष के साथ गूंज उठा।

सम्मेलन के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष रुपनारायण सिन्हा ने कहा कि भारतीय संस्कृति की सनातन परंपरा, गौमाता का पूजनीय महत्व, हिंदुत्व की महानता एवं हिंदू दर्शन की गूढ़ विचारधारा हमारे राष्ट्र की आत्मा है। भूमिपूजन की पद्धति हमें प्रकृति, धरती माता और सृष्टि के प्रति कृतज्ञता का भाव सिखाती है। जिस प्रकार देश की भिन्न–भिन्न नदियाँ अंततः एक सागर में जाकर विलीन हो जाती हैं, उसी प्रकार हमारा समस्त हिंदू समाज विविधताओं के बावजूद एकता के सूत्र में बंधकर एक परमेश्वर की ओर अग्रसर होता है। यही हमारी संस्कृति की शक्ति और हिंदुत्व की महानता हैं। गांव जागेगा, विश्व जागेगा के साथ हम आज आगे बढ़ रहे है। आगे उन्होंने देश की भावी पीढ़ी से आह्वान करते हुए कहा कि वे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श, श्रीकृष्ण की कर्मयोगी प्रेरणा, स्वामी विवेकानंद की राष्ट्रभक्ति और छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य व नेतृत्व से प्रेरणा लेकर एक सशक्त, संस्कारवान और विश्वगुरु भारत के निर्माण में सहभागी बनें।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुर्ग जिला के सह कार्यवाह श्री दुष्यंत साहू जी ने कहा कि हिन्दू समाज सबसे सशक्त समाज है, हमारा प्राचीन इतिहास अदभुत शौर्य एवं पराक्रम व संस्कार से भरा हुआ रहा है। आगे उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना भारतीय समाज में राष्ट्रभक्ति, चरित्र निर्माण और सांस्कृतिक चेतना के सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से हुई। संघ ने अपने समाज को संगठित करने, राष्ट्र को सर्वोपरि मानने और सेवा को जीवन का मूल मंत्र बनाने का कार्य निरंतर कर रहा है। शिक्षा, सेवा, सामाजिक समरसता, स्वावलंबन, आपदा प्रबंधन, ग्राम विकास सहित समाज के हर क्षेत्र में संघ प्रेरित कार्य निरंतर जनकल्याण के लिए समर्पित भाव से किए जा रहे हैं। आज हम सभी इस हिन्दू सम्मेलन के माध्यम से समाज को सशक्त बनाकर देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एकत्रित हुए है।
सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि तहसील साहू संघ के पूर्व अध्यक्ष दिनेश साहू ने संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा से पहले संस्कार, व्यापार से पहले व्यवहार, भगवान से पहले माता पिता का सेवा करना आवश्यक है। हमें अपने धर्म में रहकर अपने धर्म के तैंतीस कोटि देवी देवता की पूजा करना चाहिए। हमारे हिन्दू भाइयों को चाहिए कि हमें और हमारे परिवारों के सदस्यों को देवी देवताओं के पूजा विधि, मंत्र और रामायण, महाभारत का पाठन करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हम सब मिलकर ही हिन्दू राष्ट्र इस देश को बना सकते है और हम सब मिलकर एकता के साथ आगे बढ़े सभी समाज को संगठित रहने का आह्वान किया।विशाल हिन्दू सम्मेलन में रतन चक्रधर हरिओम शर्मा , जितेन्द्र वर्मा, विशेष रुप से उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन श्री चेलाराम साहू जी, देवनारायण साहू ने किया। आभार प्रदर्शन सम्मेलन के संयोजक डॉ. संतराम कुंभकार ने की।
इस अवसर पर अध्यक्ष जयराम सिन्हा, उपाध्यक्ष अखिलेश मिश्रा, सहसंयोजक भागवत सिन्हा, कोषाध्यक्ष कृष्णा निषाद, सचिव निलमनी, सहसचिव गजेन्द्र, रामुराम चक्रधर, संजय शर्मा, खंडसंपर्क प्रमुख थनेंद्र कुंभकार, महाविद्यालयीन छात्र कार्य प्रमुख पुष्कर कुम्भकर, मंडल कार्यवाहक महेंद्र कुंभकार, शाखा कार्यवाह गोपाल यादव, हेमलाल साहू, रवि सिंहा, मुकेश साहू, भुनेश चक्रधर, येमन कुंभकार, आयोजक समिति के सदस्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक, विभिन्न समाज के समाज प्रमुखगण, मातृशक्ति, युवा तरुणाई एवं सभी ग्रामों से पधारे गणमान्यजन प्रमुख रुप से बड़ी संख्या में उपस्थित थे।*
आठ गांव के समाज प्रमुखों का किया गया सम्मान*विशाल हिन्दू सम्मेलन में सभी समाज को एकता के सूत्र में बांधने के उद्देश्य से सभी समाज के समाज प्रमुखों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में सभी गांव के समाज प्रमुख बड़ी संख्या में उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में समाज को एकता के साथ संगठित कर आगे बढ़ाने के अपने संकल्प को दृढ़ किया।
*बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम ने किया मंत्रमुग्ध*विशाल हिन्दू सम्मेलन में बच्चों द्वारा प्रस्तुत मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम ने सभी को भावविभोर कर दिया। अपनी सुंदर प्रस्तुतियों के माध्यम से बच्चों ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और लोककला को जीवंत रूप में प्रदर्शित किया। उनका उत्साह, अनुशासन और आत्मविश्वास वास्तव में सराहनीय रहा।*
सर्वसमाज को किया गया महाप्रसादी का वितरण*कार्यक्रम के अंत में सर्वसमाज के लिए महाप्रसादी का श्रद्धा, सेवा और समर्पण भाव के साथ वितरण किया गया। इस पावन प्रसंग पर सभी वर्ग के लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया, जिससे सामाजिक समरसता, भाईचारे और एकता का सुंदर संदेश प्रसारित हुआ। महाप्रसादी वितरण ने सेवा, सहयोग और समानता के भाव को और अधिक सुदृढ़ किया।

