बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना के खिलाफ आज न्यायाधिकरण सुनाएगा फैसला

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ढाका। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 आज फैसला सुनाएगा। सरकारी अभियोजकों न्यायाधिकरण से मृत्युदंड की सजा देने की अपील की है। फैसला आने से पहले राजधानी और आसपास के जिलों में उपद्रवियों ने कई स्थानों पर आगजनी करते हुए देशी बम फेंके हैं। अंतरिम सरकार ने हिंसा की आशंका जताते हुए राजधानी में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं। इस फैसले पर पूरी दुनिया की नजरें हैं।

ढाका ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना को पिछले साल सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों में प्रमुख आरोपी बनाया गया है। कानून व्यवस्था से जुड़ी चिंताओं के बीच सेना और बार्डर बांग्लादेश गार्ड के जवानों को कई जगह तैनात किया गया है। हसीना के अलावा तत्कालीन गृहमंत्री असदुज्जमा खान कमाल और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुला अल-मामून को भी आरोपी बनाया गया है। सब पर हत्या, हत्या के प्रयास, उत्पीड़न समेत पांच गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हसीना और कमाल को न्यायाधिकरण भगोड़ा घोषित कर चुा है। मामून इस समय सरकारी गवाह है।

मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने हसीना के लिए मृत्युदंड की मांग की है और आरोप लगाया है कि वह पिछले वर्ष बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के पीछे मास्टर माइंड थीं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में 1,400 से अधिक लोग मारे गए। एक अन्य रिपोर्ट अनुसार, अभियोजक गाजी मोनोवार हुसैन तमीम ने रविवार को पत्रकारों को बताया कि अगर न्यायाधिकरण अनुमति देगा तो फैसले के प्रमुख हिस्से का बांग्लादेश टेलीविजन (बीटीवी) पर सीधा प्रसारण किया जाएगा। अन्य सभी मीडिया संस्थान बीटीवी के माध्यम से प्रसारण दिखा सकेंगे।

अंतरिम सरकार ने फैसला आने से पहले ढाका और आसपास के इलाकों में पुलिस के अलावा बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) व सेना को भी उतार दिया है। सचिवालय और न्यायाधिकरण क्षेत्र समेत प्रमुख सरकारी दफ्तरों में अतिरिक्त जांच नाका बनाए गए हैं। न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाला तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण-1 फैसला सुनाएगा। इस मामले में बहस 23 अक्टूबर को समाप्त हुई। मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम और अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने अभियोजन पक्ष ने आरोपितों को मृत्युदंड देने की मांग की।

पक्ष के वकील मोहम्मद आमिर हुसैन ने अभियुक्तों की ओर से दलीलें पेश कीं। न्यायाधिकरण ने पहले फैसले के लिए 13 नवंबर की तारीख तय की थी। बाद में कहा 17 नवंबर की तारीख तय की।

बचाव पक्ष ने अब्दुल्ला अल-मामून, दैनिक अमर देश के संपादक महमूदुर रहमान और नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के संयोजक नाहिद इस्लाम सहित कई प्रमुख गवाहों की विश्वसनीयता को चुनौती देते हुए अपने मुवक्किलों के निर्दोष होने का दावा किया। हुसैन ने दावा किया कि मामून को डरा धमका कर सरकारी गवाह बनाया गया। 10 जुलाई को मामून ने विद्रोह के दौरान हुई हत्याओं और हिंसा की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए सरकारी गवाह बनने की इच्छा प्रकट की थी। इसे फैसले के न्यायाधिकरण के हाल के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है।



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