छत्तीसगढ़ में FIR नंबर 667/25 में ऐसा क्या है कि रायपुर में सरकार से लेकर दिल्ली तक भाजपा हिल गई?

NFA@0298
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रायपुर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 667/25 में आखिर ऐसा क्या है कि पुलिस ने अपनी वेबसाइट पर इस एफआईआर को छिपाया है और इसे Case Sensitive यानी संवेदनशील माना है। इस एफआईआर में आखिर ऐसा क्या है कि छत्तीसगढ़ में सरकार हिली हुई है और रायपुर से लेकर दिल्ली तक सत्तारूढ़ दल भाजपा।

इस एफआईआर में ऐसा क्या है कि पुलिस अपनी वेबसाइट में न आरोपियों के नाम बता रही है और न ही गिरफ्तार लोगों के।

इस एफआईआर में ऐसा क्या है कि पुलिस भाजपा के दफ्तर से एक लैपटॉप उठवाती है और भाजपा परिवार से ही जुड़े एक युवक को गिरफ्तार कर चुपचाप जेल भेज देती है।

इस एफआईआर में ऐसा क्या है जिसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के खिलाफ साजिश माना जा रहा है और इसमें आखिर ऐसा क्या है कि आरएसएस और बीजेपी संगठन का एक बड़ा नाम साजिश के हिस्से के रूप में आरोपों के घेरे में आने लगा है।

पूरी कहानी में बीजेपी सत्ता और संगठन से जुड़ी एक ऐसी तस्वीर सामने आती है जिसमें पैसा पावर पॉलिटिक्स संगठन का साजिश भरा चेहरा सामने आता है।

यह पूरी कहानी हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो से शुरू होती है। इस वीडियो में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का नाम है, हाल ही में भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए नितिन नबीन का नाम है, छत्तीसगढ़ के ताकतवर मंत्रियों, ओपी चौधरी, अरुण साव, विजय शर्मा, भाजपा क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जांबवाल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण सिंहदेव और प्रदेश संगठन मंत्री पवन साय जैसे दिग्गजों के नाम हैं।

इस वीडियो में एक कथित बैठक, 1500 करोड़ का आंकड़ा, राम गर्ग और रवि मिश्रा का भी जिक्र है।

वीडियो जैसे ही वायरल हुआ सरकार और भाजपा सकते में आ गईं। दिल्ली तक से पूछ परख शुरू हो गई। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में इस मामले में पुलिस को सीधे दिल्ली से निर्देश आने लगे कि पता करो जांच करो अंदर करो। पुलिस ने फुर्ती दिखाई और जब इस वीडियो और कथित साजिश में लिप्त नाम सामने आए तो सबके होश ही उड़ गए।

इस पूरे मामले में मीडिया के बड़े हिस्से में चुप्पी है, लेकिन द लेंस में भाजपा में चल रही इस उठा पटक की पूरी रिपोर्ट देखिए…

पुलिस की जांच शुरू हुई तो पहले मिर्जा असलम बेग और अंकित दुबे के नाम सामने आए। जांच की शुरुआत में ही जिस नाम ने चौंकाया था वह एक पीआर एजेंसी थी- रणनीति मीडिया।

बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि रणनीति मीडिया, वो एजेंसी है, जिसने 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ भाजपा के लिए काम किया था। इसके कर्ताधर्ता के रूप में आकाश जोशी और तुषार जोशी का नाम सामने आया। इनमें तुषार जोशी को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के एक वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश जोशी का बेटा बताया गया है। आकाश जोशी को उनका करीबी रिश्तेदार।

दिलचस्प यह है कि हमने ओमप्रकाश जोशी से संपर्क कर तुषार जोशी और आकाश जोशी के बारे में फोन पर जानना चाहा, तो वह कहते हैं कि न तो वे रणनीति मीडिया को जानते हैं और न ही किसी तुषार जोशी को और न ही आकाश जोशी से कोई लेना देना है। उन्होंने कहा कि सरनेम एक होने के कारण लोगों को कंफ्यूजन हो गया होगा।

तुषार जोशी और आकाश जोशी चुनाव से पहले बीजेपी का काम देखते थे और चुनाव के बाद जब भाजपा की सरकार बनी तो सरकार के पीआर का काम देखने के लिए स्वाभाविक दावेदार माना गया। बताते हैं कि सरकार बनने से पहले आईटी सेल के एक पदाधिकारी इस एजेंसी से भरपूर काम लेते रहे, लेकिन जब इस एजेंसी को सरकार में मिलता काम नजर आया तो उन्होंने कुछ इसी नाम से एक समानांतर एजेंसी खड़ा कर कथित रूप से उसे सरकार में घुसाने की कोशिश की। लेकिन उनकी इस कोशिश से भाजपा में ही इस बात पर बवाल मचा कि भाजपा परिवार से काम क्यों छीना जा रहा है और आईटी सेल के पदाधिकारी को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। तब जाकर तुषार जोशी और आकाश जोशी का सरकार में काम चलता रहा। बीजेपी के जानकार सूत्र कहते हैं कि इनकी रणनीति मीडिया सरकार में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पीआर का काम ही देखा करती थी।

पार्टी सूत्र यह भी बताते हैं कि तुषार जोशी और आकाश जोशी इस बात से खिन्न रहते थे कि उन्हें इस काम के लिए सरकार से जितना पैसा मिलना चाहिए उतना भुगतान हो नहीं रहा है। बताते हैं कि रणनीति मीडिया बीजेपी के जिन अन्य लोगों के पीआर का काम देखती थी उसमें पूर्व कोषाध्यक्ष नंदन जैन से लेकर पार्टी के कुछ मंत्रियों और संगठन मंत्री के पदों पर बैठे लोग भी शामिल हैं।

एक वरिष्ठ नेता ने तो यह भी कहा कि इस पीआर एजेंसी के बहुत से लोग तो नंदन जैन के दफ्तर में ही बैठ कर काम करते थे। हालांकि इस बात की पुष्टि द लेंस नहीं करता।

बीजेपी के जानकार बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में सत्ता और संगठन के कुछ लोगों के बीच पहली दरार तब नजर आई जब पार्टी के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता ने छत्तीसगढ़ के एक पार्टी पदाधिकारी, जिनकी दिलचस्पी शराब के व्यवसाय में थी, से दो टूक कह दिया कि या तो पार्टी संगठन का काम देख लें या व्यवसाय कर लें।

पार्टी सूत्र कहते हैं कि ये वह दौर था जब छत्तीसगढ़ के इस नेता की शराब के कारोबार में बेहद दिलचस्पी थी और शराब से जुड़े बहुत से सौदों की भारी चर्चा होती थी। बाद में इस नेता को पद से रुखसत कर दिया गया। पार्टी के सूत्र दावा करते हैं कि इस मुद्दे से लेकर सत्ता पर नियंत्रण की चाहत तक ऐसी कई चीजें होती रहीं जो सहज छवि वाले मुख्यमंत्री के लिए असुविधाजनक थीं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस मामले में छत्तीसगढ़ में संगठन से जुड़े लोगों को तब छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी नितिन नबीन से भी दिक्कतें होने लगीं थीं। पार्टी के भीतर की राजनीति को जानने वाले इस गुटबाजी को साफ साफ देख पाते थे। यह गुटबाजी इतनी बढ़ गई कि खबर है कि हाल ही में छत्तीसगढ के संगठन से जुड़े लोग दिल्ली जा धमके और वहां आला नेताओं से नितिन नबीन के खिलाफ ढेर शिकायतें कीं और कथित रूप से कुछ दस्तावेज भी सौंपे। लेकिन इस शिकायत के कुछ ही दिनों बाद नितिन नबीन पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बना दिए गए।

इसके बाद ही यह वीडियो सामने आता है और जमकर वायरल होता है। इस वीडियो को बनवाने में किसकी भूमिका थी यह अभी तक साफ नहीं है। लेकिन छत्तीसगढ़ में बीजेपी के हर नेता की जुबान पर संगठन से जुड़े एक दो नाम ऐसे आ रहे हैं जिन्हें लेकर कहा जा रहा है कि हित तो इनके ही टकराते थे।

वीडियो सामने आया तो दिल्ली से सीधे रायपुर की पुलिस को जांच का आदेश दिया गया। बीजेपी के सूत्र कहते थे हैं कि इस समय तक मुख्यमंत्री या उनका दफ्तर तस्वीर में नहीं था। लेकिन जब फरमान आया तो पार्टी के विधायक पुरिंदर मिश्रा को मामले में रिपोर्ट दर्ज करवाने के निर्देश दिए गए और उनकी रिपोर्ट पर रायपुर के सिविल लाइंस थाने में 66(घ)-INF, 67-INF, 196-BNS, 336(3)-BNS, 336(4)-BNS, 352-BNS, 353(2)-BNS, 356(2)-BNS, 61(2)-BNS इन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस हरकत में आई। पुलिस ने 22 दिसंबर को रणनीति मीडिया से जुड़े असलम बेग और अंकित दुबे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 24 दिसंबर को आकाश जोशी को दबोचा गया और जेल भेज दिया गया। आकाश का लैपटॉप पुलिस ने रायपुर के भाजपा दफ्तर से ही उठवाया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अभी तुषार जोशी और जावेद नामक एक अन्य युवक की तलाश है। बताते हैं कि तुषार जोशी को बचाने की कोशिशें भी चल रही हैं।

इस मामले में एसएसपी डॉ. लाल उमेद सिंह ने द लेंस से कहा कि जांच चल रही है, मामला संवेदनशील था इसलिए केस सेंसेटिव श्रेणी में रखा गया है। शिकायत के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है कुछ की तलाश चल रही है।

बीजेपी के जानकार सूत्र कहते हैं कि पार्टी का एक धड़ा इस मामले को बिना हंगामे के निपटा देना चाहता है ताकि पार्टी और आरएसएस की छवि पर दाग ना लगे लेकिन पार्टी का एक हिस्सा ऐसा भी है जो चाहता है कि सरकार के खिलाफ ही षडयंत्र में लगे लोगों को बेनकाब किया जाए।



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