Chilla-e-kalan Kashmir : कश्मीर घाटी में सर्दियों का सबसे सख्त दौर ‘चिल्ला-कलां’ रात से शुरू हो गया है। फारसी भाषा में इसका मतलब ‘प्रचंड ठंड’ होता है। यह 40 दिनों तक चलता है, जिसमें तापमान अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच जाता है। इस दौरान पहाड़ बर्फ की मोटी चादर से ढक जाते हैं और श्रीनगर की मशहूर डल झील का पानी जमने लगता है। कई बार तापमान माइनस 6 डिग्री से भी नीचे चला जाता है, जिससे झील के बड़े हिस्से बर्फ बन जाते हैं।
कश्मीर की सर्दी तीन चरणों में बंटी होती है – सबसे ठंडा चिल्ला-ए-कलां (40 दिन), फिर चिल्ला-ए-खुर्द (20 दिन, थोड़ी कम ठंड) और आखिर में चिल्ला-ए-बच्चा (10 दिन, हल्की ठंड)। इस बार चिल्ला-ए-कलां की शुरुआत सूखे मौसम के साथ हुई है लेकिन घाटी के लोग मैदानों से पहाड़ों तक बारिश और बर्फबारी की उम्मीद लगाए बैठे हैं। नवंबर-दिसंबर में अब तक कम वर्षा और बर्फ़बारी दर्ज हुआ है, जिससे सूखे जैसी स्थिति बनी हुई है। मौसम विभाग का कहना है कि 22 दिसंबर के बाद बर्फबारी की संभावना है, जो लोगों को राहत दे सकती है। हालांकि, यह दौर स्थानीय लोगों और कश्मीरियों के लिए काफी मुश्किल भरा होता है क्योंकि कड़ाके की ठंड रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करती है।

