कलेक्टर साहब इधर भी निरीक्षण कीजिए, घाट बनाने के नाम पर नवीन मेला मैदान के समतल जमीन को गड्ढे कर दिए,,,

NFA@0298
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खबर हेमंत तिवारी,,,,,,

राजिम/छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आरक्षित 54 एकड़ जमीन में पिछला राजिम कुंभ कल्प मेला संपन्न हुआ था मेला का स्वरूप निरंतर बढ़ रहा है और मैदान को गड्ढे करना कहां तक उचित बता दे कि 15 दिनों तक लगातार चलने वाले राजिम कुंभ कल्प मेला पुराने मैदान छोटे पड़ने के चलते भीड़ बढ़ जाती थी तथा श्रद्धालुओं को तरह-तरह की दिक्कत उठानी पड़ रही थी जिसे देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, पूर्व पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय के विशेष प्रयास से उनके शासनकाल में पहले 25 एकड़ जमीन नवीन मेला मैदान के लिए आरक्षित किया गया था उसके बाद बढ़ाकर 54 एकड़ कर दिया गया। कांग्रेस शासन काल में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू कहते रहे कि नवीन मेला मैदान में मेला का आयोजन होगा लेकिन उन्होंने शुरुआत नहीं किया, तब सन 2023 में पुन: भाजपा की सरकार आई और 2025 में नवीन मेला मैदान में विशाल कुंभ कल्प मेला का आयोजन किया। जिसमें लाखों की संख्या में मेलार्थी मेला तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का लुफ्त उठाया।

सरकार की मनसा है कि यहां पर सारे कार्य स्थाई किए जाने हैं जिसके लिए वह कार्य प्रारंभ कर चुका है। बिजली विभाग का 35 /11 केवी. सब स्टेशन बनकर तैयार है जिससे बिजली सप्लाई भी हो रही है। हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा लक्ष्मण झूला से लेकर नवीन मेला मैदान तक नदी किनारे से होकर फोरलेन सड़क तथा राजिम के चौबे बांधा तिराहा से लेकर राजिम परसवानी चौबेबांधा पुल तथा नवागांव तक सड़क बनाने के लिए कल 43 करोड रुपए की स्वीकृति मिल चुकी है। इसी क्रम में विधायक रोहित साहू के प्रयास से राजिम से लेकर चौबेबांधा पुल तक तटबंध से लगाकर घाट निर्माण करने के लिए 11 करोड रुपए की स्वीकृति मिल चुकी है। काम प्रारंभ भी हो चुके हैं निर्माण एजेंसी ठेकेदार को जब मिट्टी की जरूरत हुई तो उन्होंने बाहर से मटेरियल लाने के बजाय समतल भूमि से ही मिट्टी निकालना प्रारंभ कर दिया। जेसीबी मशीन से खुदाई किया, 12 से 15 फीट नीचे तक खोदा गया और अब मैदान में गहरी गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। गहराई इतनी ज्यादा है की धोखे से भी पैर फिसला तो नीचे गिरने पर कोई बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता। यह भी बताना होगा कि यहीं पर मवेशी चारे पानी के लिए भ्रमण करते रहते हैं इनके लिए भी यह जी का जंजाल बन गया है। इस संबंध में वही उपस्थित लोगों से चर्चा किया गया तो उन्होंने बताया कि निर्माण सामग्री के लिए बाकायदा पैसा पास हुआ है इन्हें बाहर से मांगना चाहिए था लेकिन इन्होंने तो नवीन मेला मैदान को ही इकट्ठे कर दिए हैं।

लगता है किसी बड़ी नेता के हाथ इनके सर पर है इसलिए किसी की चिंता किए बगैर इन्होंने मैदान को ही गड्ढा कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि भूमि को समतल करने के लिए यहां और मिट्टी या फिर मुरूम की जरूरत है परंतु यहां तो जो कोई भी आते हैं अपनी मनमानी ही कर रहे हैं इसके चलते कहा जा रहा है कि नवीन मेला मैदान का कोई मांई बाप नहीं है।मेला के समय मुरूम मैदान से ही खोदकर निकाला गया था, जो अभी भी गड्ढा ही है जानना जरूरी है कि 2025 के फरवरी महीने में मेला प्रारंभ होने से पहले मैदान तथा अस्थाई सड़क में मुरूम डालने के लिए नवीन मेला मैदान को ही खनन किया गया था। यहां भी 15 से 20 फीट गहराई होते तक करीब सैकड़ो हाईवा मुरूम निकाला गया था। जो अभी भी जैसे का तैसा है। जबकि इस समय जिले के तमाम जिम्मेदार अधिकारी मेला मैदान में ही डटे हुए थे। ठेकेदार अपनी फायदा के लिए मैदान को ही खुदाई कर रहे हैं और शासन प्रशासन को चिंता नहीं है हां यह बात जरूर है कि आम जनता में चर्चा इन दिनों जोरों पर है कि संबंधित विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से ठेकेदार अपने पैसे बचाने के लिए मैदान को ही खोद रहे हैं। क्योंकि यह गत लंबे चौड़े आकार में बनाए जाने हैं तब तो और न जाने कहां-कहां पर मैदान को खोदें जाएंगे कह पाना मुश्किल है। इस संबंध में कुछ दिन पहले जल संसाधन विभाग के एसडीओ संतोष चंदेल से बात हुई थी तब उन्होंने कहा था कि मैं तुरंत बात करता हूं। इधर ठेकेदार के इंजीनियर से बात करने पर उन्होंने बताया कि अभी खोद कर मिट्टी डाल रहे हैं बाद में हम फिर से पाटकर पैक करेंगे। लोगों का कहना है कि मिट्टी की आवश्यकता है तो बाहर से मंगवाया जाए ना कि मैदान को गड्ढे किया जाए, यह सरासर गलत है। इसमें मिलीभगत की बू,आ रही है।



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