करोड़ों की लागत से बनी पाटन–पाहंदा सड़क दम तोड़ने लगी

NFA@0298
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  • इंजीनियरों की लापरवाही और गुणवत्ताहीन निर्माण उजागर

पाटन। पाटन से मटिया–बोरीद होकर पाहंदा को जोड़ने वाली प्रमुख सड़क, जिस पर करीब 23–24 करोड़ रुपये की लागत से चौड़ीकरण व निर्माण कार्य किया गया था, आज कुछ ही वर्षों में पूरी तरह बदहाली की कगार पर पहुँच चुकी है। करोड़ों की लागत के बाद भी सड़क की यह हालत सवाल खड़े करती है कि निर्माण के दौरान इंजीनियरों ने गुणवत्ता की जाँच आखिर कैसे और क्यों की थी.

निर्माण के तुरंत बाद ही सड़क पर जगह–जगह दरारें, और गड्ढे दिखाई देने लगे थे। इससे स्पष्ट होता है कि सड़क निर्माण के समय गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं किया गया, और विभागीय इंजीनियरों व कर्मचारियों द्वारा केवल औपचारिक जांच कर ली गई।

स्थिति यह है कि तब से अब तक लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर और ठेकेदार लगातार लीपा–पोती करते ही नजर आते हैं।
जहाँ भी सड़क टूटती है, वहां अस्थायी रूप से मिट्टी या कोलतार डालकर मरम्मत कर दी जाती है।
इस तरह की बार–बार की मरम्मत यह स्पष्ट करती है कि:निर्माण कार्य में उच्च गुणवत्ता वाले सामग्री का उपयोग नहीं हुआ. इंजीनियरों ने कंस्ट्रक्शन सुपरविजन की जिम्मेदारी ठीक से निभाई नहीं जिससे कुछ वर्षो बाद ही निर्माण के दौरान की गई लापरवाही कुछ ही सालों में उजागर हो गई

किसानों और राहगीरों को आने वाली दिनों मे हो सकती है भारी परेशानी.

यह सड़क किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है ज़ब इस मार्ग मे चलना तक कठिन हुआ करता तब लोगो किसानो क़ी समस्या से निर्माण कार्य क़ी सौगात मिली थीं.सड़क चौडीकरण एवं निर्माण कार्य से बरसात के दिनों में खेतों तक पहुँचना आसान हुआ था और खाद–बीज ढोने में काफी सुविधा मिलती थी।
लेकिन आज उसी सड़क पर बड़े–बड़े गड्ढों और दरारों पड़ गई है.

करोड़ों की लागत पर सवाल — जवाबदेही कौन लेगा?

किसानो का कहना है कि यदि विभागीय इंजीनियरों ने निर्माण के समय सही गुणवत्ता परीक्षण किए होते, तो इतनी जल्दी सड़क खराब नहीं होती।
स्थानीय लोग यह भी सवाल पूछ रहे हैं कि:करोड़ों रुपये के निर्माण में इतनी खामियाँ कैसे रह गईं? निर्माण एजेंसी और विभागीय इंजीनियरों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती?



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