पाकिस्तान में सरकारी अस्पताल खस्ताहाल, दवाएं नदारद और जांच की व्यवस्था भी नहीं

NFA@0298
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इस्लामाबाद, 24 दिसंबर । पाकिस्तान के सिंध प्रांत में करीब 4 हजार बच्चे एचआईवी पॉजिटिव हैं। ये दावा यूरोपियन टाइम्स की एक रिपोर्ट ने हाल ही में किया। आंकड़ों की जुबानी खस्ताहाल सिस्टम की कहानी बयां की गई है। अब पाकिस्तान का स्थानीय मीडिया भी सरकारी अस्पतालों की जर्जर व्यवस्था की बात कर रहा है। सिंध के हैदराबाद स्थित बड़े जिला अस्पताल की बदहाली का कारण जिम्मेदार अफसरों की अनदेखी को बता रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हैदराबाद स्थित जिला अस्पताल और शहर के सभी तालुका अस्पतालों में जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।

जांच के लिए जरूरी मशीनों की कमी है, इससे मरीज तालुका-लेवल की सुविधाओं पर रूटीन लैब टेस्ट तक नहीं करवा पा रहे हैं। नतीजतन, मरीजों को निजी अस्पतालों और लैब का रुख करना पड़ रहा है, जहां उनसे शुरुआती चेक-अप के नाम पर हजारों रुपए ऐंठे जा रहे हैं, यह बात पाकिस्तानी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने रिपोर्ट की है। खराब हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाला नाका रोड पर बना ट्रॉमा सेंटर तक चालू नहीं हो पाया है। इससे हैदराबाद के जिला अस्पताल पर बोझ बढ़ गया है। ये ऐसा अस्पताल है जहां पूरे सिंध से बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं। हालांकि, जिला अस्पताल में भी उपकरण खराब पड़े हैं और इलाज की सुविधाएं भी अपर्याप्त हैं।

फिलहाल, हैदराबाद के जिला अस्पताल में सिर्फ एक एमआरआई और एक सीटी स्कैन मशीन चालू है, जबकि दूसरी डायग्नोस्टिक मशीनें महीनों से बंद पड़ी हैं। अखबार की रिपोर्ट बताती है कि हैदराबाद के तालुका अस्पतालों में हालात और भी खराब हैं, क्योंकि सिंध सरकार के भिट्टाई अस्पताल लतीफाबाद, गवर्नमेंट हॉस्पिटल कासिमाबाद, कोहसार हॉस्पिटल लतीफाबाद, गवर्नमेंट हॉस्पिटल प्रीताबाद, और गवर्नमेंट हॉस्पिटल हाली रोड और कई स्वास्थ्य ईकाइयों में टेस्टिंग की सुविधाएं और जरूरी दवाएं नहीं हैं। इस महीने की शुरुआत में ही एक और रिपोर्ट सामने आई है जो लचर व्यवस्था की भयावह तस्वीर पेश करती है। ये एचआईवी को लेकर है। एचआईवी मामलों में तेजी से बढ़ोतरी के साथ पाकिस्तान एशिया-पैसिफिक देशों में दूसरे नंबर पर आ गया है। पाकिस्तान में गहराता एचआईवी संकट न केवल एक मेडिकल इमरजेंसी है, बल्कि यह संस्थागत भ्रष्टाचार को भी दिखाता है और वर्षों की अनदेखी, बेसिक स्वास्थ्य मानकों को लागू करने में विफलता और भ्रष्टाचार की मानवीय कीमत को भी दिखाता है।

चौंकाने वाले आंकड़ों के जरिए बताया गया है कि कैसे एक ही सिरिंज के बार-बार इस्तेमाल और बिना नियम के ब्लड ट्रांसफ्यूजन करते हुए मेडिकल नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन किया गया है। यूरोपियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य अधिकारियों ने सिंध में 3,995 पंजीकृत एचआईवी-पॉजिटिव बच्चों की सूचना दी है; यह आंकड़ा केवल उन मामलों का है जिनका दस्तावेज मौजूद है। रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में सिंध के स्वास्थ्य मंत्री को एचआईवी संक्रमण के “बेहद चिंताजनक” प्रसार के बारे में बताया गया, और यह भी कि बच्चों की तादाद में इजाफा हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में 6,00000 से ज्यादा झोलाछाप डॉक्टर अपनी दुकान चला रहे हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत कराची में हैं। यह आंकड़ा पाकिस्तान में मेडिकल लापरवाही की बढ़ती दर को दिखाता है। अपर्याप्त निगरानी के कारण, ये नकली डॉक्टर बे-रोक टोक सिरिंज का दोबारा इस्तेमाल करते हैं, लापरवाही बरतते हैं, और असुरक्षित प्रक्रियाओं का पालन करते हैं जिससे एचआईवी तेजी से फैल रहा है।

पाकिस्तान में मौजूद कुछ एचआईवी ट्रीटमेंट सेंटरों में टेस्टिंग किट, एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी ने समस्या को और बड़ा बना दिया है। मरीजों को अक्सर परेशानी होती है क्योंकि उन्हें बेसिक देखभाल की तलाश में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाना पड़ता है। यूरोपियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, “पाकिस्तान में गहराता एचआईवी संकट सिर्फ एक मेडिकल इमरजेंसी से कहीं ज्यादा है; यह संस्थागत भ्रष्टाचार का नतीजा है। यह सालों की अनदेखी, बेसिक हेल्थ स्टैंडर्ड्स को लागू करने में नाकामी, और भ्रष्टाचार की मानवीय कीमत को दिखाता है। सिंध में लगभग 4,000 एचआईवी-पॉजिटिव बच्चे, झोलाछाप डॉक्टर और दूषित मेडिकल उपकरणों का रोजाना इस्तेमाल, ये सब मिलकर सरकार की अनदेखी दिखाता है। यह किसी वायरस के चुपचाप फैलने की कहानी नहीं है; यह सिस्टम की नाकामी की कहानी है जो वायरस को पनपने देती है।” —(आईएएनएस)



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